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आग की जद में पारसनाथ! कई जीवों के झुलस कर मरने की आशंका, काबू पाने में जुटी मेला समिति

जंगली फल की तलाश में आग लगाई जा रही है. आग की जद में गिरिडीह के कई जंगल आ चुके हैं. सबसे ज्यादा नुकसान पारसनाथ को हो रहा है. यहां पारसनाथ पहाड़ के विभिन्न कोणों से धुआं उठ रहा है. पारसनाथ के निचले हिस्से में आग लगाई गई है लेकिन पर्वत पर लग रहे आग के पीछे गर्मी को कारण बताया जा रहा है. हालांकि पारसनाथ पर लगी आग को काबू पाने में स्थानीय मकर संक्रांति मेला समिति के सदस्य बगैर किसी सरकारी सहायता से जुटे हैं.

fire in Parasnath mountain
fire in Parasnath mountain

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Published : Apr 20, 2023, 8:08 AM IST

Updated : Apr 20, 2023, 8:47 AM IST

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गिरिडीह: महुआ, चिहुर समेत विभिन्न तरह के जंगली फल की चाहत में लोग जंगल में आग लगा रहे हैं. आग गिरिडीह के विभिन्न जंगलों और पहाड़ों पर लगाई गई है, लेकिन सबसे भयावह स्थिति पारसनाथ की है. पारसनाथ पर्वत के अलग-अलग स्थानों पर आग लगी हुई है. इस आग की चपेट के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटी के साथ साथ जंगली जीव जंतु भी आ रहे हैं. कई के झुलस कर मरने की भी आशंका जाहिर की गई है. कइयों का आशियाना भी उजड़ चुका है. इन सबों के बीच पारसनाथ पर लगी आग को बुझाने के प्रयास में मकर संक्रांति मेला समिति के सदस्य जी जान से जुटे हैं. ये सदस्य हर रोज धुआं देखकर चल पड़ते हैं और आग बुझाने का काम करते हैं.

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तेज धूप से युवकों का हौसला नहीं होता है पस्त:चैत्र माह पड़ने के बाद से जैसे ही जंगल में विभिन्न तरह के फल पेड़ पर आने लगते हैं, तो ग्रामीण जानकारी के अभाव में या नुकसान की परवाह किये बगैर जंगलों में आग लगाना शुरू कर देते हैं. चैत्र माह के अंत में या वैशाख माह के प्रारंभ में इस तरह की हरकत में इजाफा हो जाता है. यह स्थिति वर्षों से है और इस बार भी लोगों ने जंगल में आग लगाई है. आग पारसनाथ के तराई वाले जंगल में भी लगाई जा रही है. पारसनाथ के जंगल में लगाई जा रही इस आग को बुझाने में मकर संक्रांति मेला समिति के लोग हर साल जुट जाते हैं. इस बार 40-50 सदस्य आग बुझाने का काम कर रहे हैं. हर दिन ड्यूटी की तरह युवक पर्वत की तलहटी में जमा हो रहे हैं और भीषण गर्मी और तेज धूप की परवाह किये बगैर पारसनाथ को बचाने में जुट रहे हैं. समिति के सदस्य कहते हैं गांव से सटे इलाके में जहां फलदार पेड़ हैं वहां पर आग नासमझी की वजह से ग्रामीण लगा सकते हैं, लेकिन जिस जगह पर आदमी जा नहीं सकते वहां पर आग लगने की पीछे की वजह गर्मी हो सकती है.

नहीं मिलती सरकारी सहायता:पारसनाथ को आग से बचाने का नेक काम यहीं के युवा कर रहे हैं. हालांकि इस कार्य के लिए इन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति के मनोज बताते हैं कि विधायक की पहल पर पिछली बार 10 युवकों को 3 महीना का पारिश्रमिक दिया गया था, लेकिन इस बार ऐसी व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर 50 लोगों के लिए इस तरह की व्यवस्था की जाती तो पहाड़ पर लगी आग बुझाने में जुटे लोगों का मनोबल और भी बढ़ता.

उपकरण की मांग:आग बुझाने में जुटे समिति के सदस्यों द्वारा वन विभाग और जैन संस्था से उपकरण की मांग रखी है. सदस्यों का कहना है कि वे लोग जैसे-तैसे आग को बुझाते हैं अगर उनके पास पर्याप्त उपकरण हो तो आग बुझाने में ज्यादा सहूलियत होगी. इधर, बताया जाता है कि आग बुझाने जानेवाले समिति के सदस्यों को भोजन की व्यवस्था तलेटी तीर्थ द्वारा कराई जा रही है.

विधायक ने फिर की पहल:दूसरी तरफ आग को बुझाने में जुटे पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति के सदस्यों की तारीफ गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार ने भी की है. इन्होंने फिर कहा कि पिछली बार कुछ युवकों को सहयोग राशि दी गई थी. इस बार भी इन्हें सहयोग मिले इसके लिए वन विभाग के सामने इस बात को रखा गया है.

वन विभाग ने शुरू किया अभियान:इधर पारसनाथ में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग द्वारा भी अभियान शुरू किया गया है. वनकर्मी भी पारसनाथ पर्वत के जंगल में जाकर आग बुझाने का प्रयास एक दो दिनों से कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 20, 2023, 8:47 AM IST

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