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Encroachment of Drain in Parasnath: पारसनाथ से निकले नाला की साल दर साल घटती गई चौड़ाई, बरसात में लोगों की बढ़ती रही परेशानी - झारखंड न्यूज

पारसनाथ पर्वत से मधुबन पहुंचे नाले का इस कदर अतिक्रमण किया गया कि साल दर साल में यह नाला नाली बनकर रह गया. नाले की चौड़ाई 25-30 फीट से घटकर 10-15 फीट ही रह गई. बारिश के दिनों में इसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ता है. बारिश के बाद पहाड़ से पानी तलहटी पर उतरता है तो कइयों को नुकसान उठाना पड़ता है.

Encroachment of Drain in Parasnath
Encroachment of Drain in Parasnath

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Published : Mar 13, 2023, 3:46 PM IST

Updated : Mar 13, 2023, 5:24 PM IST

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गिरिडीहः पारसनाथ से उतरे नाला का अतिक्रमण जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में इस कदर किया गया कि 25-35 फीट का नाला 10-15 फीट की नाली में बदल गया है. नाला का अतिक्रमण का खामियाजा यहां के स्थानीय लोगों को सीधा भुगतान पड़ रहा है. बरसात के दिनों में जब मूसलाधार बारिश होती है और इस नाला में पानी उतरता है तो चौड़ाई कम होने के कारण कई घरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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पहाड़ी नाला का अतिक्रमणः नाला में उतरने वाला पानी कइयों के घरों के अंदर भी घुस जाता है. कहा जाए तो बारिश के बाद इस नाला के आसपास रह रहे लोगों को काफी परेशानी का सामान करना पड़ता है. यहां के स्थानीय लोगों से इस नाला के संदर्भ में जानकारी ली गई. स्थानीय अम्बिका राय बताते हैं नाला प्राकृतिक है. नाला में पहाड़ से लेकर विद्यापीठ का पानी आता है लेकिन इसका अतिक्रमण कर लिया गया. संस्था के द्वारा अतिक्रमण किये जाने से नाला की चौड़ाई कम हो गई और बरसात का पानी घरों में घुसता है. बताया कि पारसनाथ की तलहटी व मधुबन के बीच में एक जगह बड़ा सा गड्ढा भी था जिसे लोग छप्परगढहा बोलते थे. गड्ढे को भर दिया गया. कहा जाए तो इस नाला का पूरी तरह से अतिक्रमण किया गया.

कभी हाथी करते थे स्नान, पानी से होती थी खेतीःअजित राय बताते हैं कि छप्परगढहा में तो हाथी स्नान करते थे, पानी पीते थे जिसे भर दिया गया. अब तो इस नाला में कई संस्था का गंदा पानी बहने लगा है. अमर तुरी बताते हैं पहाड़ पर स्थित सीता नाला, अनिल झील का पानी इस नाला में आता है. यह नाला पारसनाथ की तराई से होते हुए होते हुए मधुबन आता है, जो सिंहपुर होते हुए बांध में मिलता है. बताया कि इस नाले का पानी का उपयोग लोग खेती के अलावा नहाने के लिए भी करते थे, लेकिन अब नाला ही नहीं बचा है. कहा कि इस विषय पर कई बार प्रशासन को लिखा गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.

नाला से हटेगा अतिक्रमणःपीरटांड़ प्रखंड के अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा बताते हैं कि जिस नाला की बात कही जा रही है उसका अतिक्रमण हुआ है. जांच में यह पता चला कि नाले के प्राकृतिक बहाव को बदलने का प्रयास किया गया और मिट्टी की कटाई की गई है. नाले का स्वरूप पूर्व में क्या था इसकी जांच शुरू कर दी गई. जांच में यह बात सामने आई है कि नाला पूर्व में 25 से 35 फीट तक था. इस नाले पर सम्मेदाचल और गुणायतन संस्था के बीच में बगैर परमिशन के लोहे का पुल भी बना दिया गया है. वहीं नाले की चौड़ाई को भी कम किया गया है. इस दिशा में कार्रवाई होगी और हर हाल में अतिक्रमण को हटाया जाएगा.

लोगों में है आक्रोशःयहां बता दें कि इस प्राकृतिक नाला का अतिक्रमण और दिशा मोड़ने से स्थानीय लोग खासे नाराज हैं. लोग इस विषय पर लगातार शिकायत कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यहां पर जिसका मन किया नाले को मोड़ दिया. हाल के दिनों में इस मामले को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया है.

Last Updated : Mar 13, 2023, 5:24 PM IST

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