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दिव्यांग युवक के जज्बे को सलाम, जमीन पर रेंगकर पूरी की पीजी की पढ़ाई, फिर इलाके के बच्चों को करने लगे शिक्षित

Disabled teacher of Bagodar. गिरिडीह के बगोदर में एक दिव्यांग युवक ने इलाके में शिक्षा की अलख जलाने की कोशिश की है. उन्होंने काफी परिश्रम से अपनी पढ़ाई पूरी की. फिर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. बाद में उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हो गया.

Disabled teacher of Bagodar
Disabled teacher of Bagodar

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 3, 2023, 12:46 PM IST

दिव्यांग युवक बच्चों को दे रहे शिक्षा

गिरिडीह: अगर कुछ करने का इरादा हो तो शारीरिक कमी उसमें बाधक नहीं बनती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बगोदर के एक दिव्यांग युवक ने. पैर से दिव्यांग इस युवक ने जमीन पर रेंगकर पीजी की पढ़ाई पूरी की और फिर शिक्षा से वंचित इलाके में शिक्षा की रोशनी फैलाना शुरू कर दिया. आज उनकी इस कोशिश का परिणाम दिखने लगा है. उनके मोहल्ले का माहौल बदलने लगा है. स्कूल स्तर की शिक्षा के बाद अब बच्चों को कॉलेज स्तर की शिक्षा भी मिलने लगी है. हम जिस दिव्यांग युवक की बात कर रहे हैं उनका नाम महेश प्रसाद महतो है.

बच्चों को पढ़ाते हैं महेश:महेश प्रसाद महतो बगोदर पश्चिमी पंचायत के घाघरा गांव के रहने वाले हैं. वर्तमान में वे घाघरा के भुइयांटोला स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में प्रधान शिक्षक (पारा शिक्षक) के पद पर कार्यरत हैं. इससे पहले उन्होंने कई सालों तक यहां मुफ्त शिक्षा का संदेश फैलाने का काम किया है. पारा टीचर के रूप में चयनित होने से पहले वह बच्चों को एक पेड़ के नीचे इकट्ठा कर उन्हें शिक्षा देते थे. बाद में जब उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय बना तो उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हो गया.

इलाके के बच्चों की जीवनशैली में आया बदलाव:महेश प्रसाद महतो का कहना है कि डेढ़ दशक पहले भुइयांटोला में शिक्षा का माहौल नहीं था. चुंकि यहां दलित परिवार के लोग रहते हैं और वे बच्चों को पढ़ाने के बजाय काम पर लगा देते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. यहां अब दलित परिवारों के बच्चे पढ़ने लगे हैं. इसके चलते जीवनशैली और बोलचाल में भी बदलाव आने लगा है. बताया जाता है कि कई बच्चे मैट्रिक-इंटर की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. समय के साथ दिव्यांग महेश में भी बदलाव आया. अब, रेंगने के बजाय, वे तिपहिया बाइक पर स्कूल सहित दूर-दूर तक यात्रा करते हैं. लेकिन आज भी वे दोनों पैरों और दोनों हाथों की मदद से घर, दरवाजे और आसपास के इलाकों में रेंगते हैं.

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