गिरिडीह: बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी पारा शिक्षक महेश कुमार महतो अपनी मेहनत के बदौलत समाज में नई पहचान बनाएं हैं. दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने तीन सालों तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिया. बाद में उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ.
समाज में नया इतिहास रचने का काम किया
मन में अगर कुछ कर दिखाने का इरादा हो तो शारीरिक बनावटें भी इसमें बाधा नहीं बनती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के घाघरा के रहने वाले दिव्यांग शिक्षक महेश कुमार महतो ने. वह दोनों पैर से लाचार हैं. इसके बावजूद उन्होंने ऊंची स्तर की पढ़ाई पूरी कर बतौर पारा शिक्षक आज समाज में एक मिसाल पेश की है. उन्होंने शिक्षा जगत में 2007 में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. गांव के माहौल को देखते हुए, गांव के बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. आज नतीजा यह है कि कल तक शिक्षा से दूर रहने वाले यहां के बच्चे अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और डॉक्टर और इंजीनियर तक की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं.
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