गिरिडीहः जिले में बस दुर्घटना होने के बाद इसके कागजात की पड़ताल लगातार हो रही है. पहली पड़ताल में जहां तेज रफ्तार के पीछे परमिट की टाइमिंग एक वजह रही है. वहीं दूसरी पड़ताल में बस की बीमा पर सवाल उठ रहे हैं.
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बस के निबंधित नंबर JH 07H 2906 के बीमा की ऑनलाइन पड़ताल हुई तो इसमें भी गड़बड़ी दिख रही है. बस की बीमा पॉलिसी नंबर 1130003123010240021524 है. जब इसकी गहराई में पहुंचा गया तो ये निबंधित नंबर पर बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का टू व्हिलर पैकेज पॉलिसी निकला और उक्त वाहन नंबर पर स्कूटर (बजाज स्पिरिट) का बीमा दिखा. इस नंबर पर जारी पॉलिसी पंकज कुमार के नाम पर दिख रहा है जबकि जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है, वह बस राजू खान के नाम पर है.
डीसी ने शुरू की बस दुर्घटना की जांचः ऑनलाइन से मिले बीमा के कागजात की जानकारी गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को भी मिली है. डीसी ने इसकी जांच शुरू कर दी है. अधिकारियो को बीमा के अलावा अन्य कागजात को खंगालने को कहा गया है.
बस के रजिस्ट्रेशन पर स्कूटर का बीमा चंद हजार के लिए की गई गड़बड़ीः इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभाकर व अधिवक्ता प्रवीण कुमार से बात की गई. प्रभाकर ने बताया कि वे खुद ही मोटर बीमा का कार्य करते है और दुर्घटना के बाद उन्होंने काफी पड़ताल की. पड़ताल में यह पाया कि दुर्घटनाग्रस्त बस का बीमा स्कूटर के नाम पर है, यह सीधा अपराध है. प्रभाकर ने बताया कि किसी भी वाहन का थर्ड पार्टी बीमा जरूरी है. जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई उसका थर्ड पार्टी बीमा का प्रीमियम लगभग 60 हजार आता है. इसी 60 हजार को बचाने के लिए कई लोग इस तरह का अपराध कर रहे हैं. यह भी बताया एम परिवहन का वेबसाइट बीमा कंपनी के सर्वर से महज गाड़ी संख्या, पॉलिसी नंबर, वैधता और बीमा कंपनी का नाम मैच कर उसे वेबसाइट पर अपडेट कर देती है. इसी का फायदा उठाकर इस तरह की हरकत की जाती है.
बीमा मिलने में होगी दिक्कतः वहीं अधिवक्ता प्रवीण कुमार ने बताया कि अगर स्कूटर के बीमा पर बस चल रही थी तो दुर्घटनाग्रस्त वाहन में घायल, मृतक के परिजनों को वाहन बीमा का लाभ मिलने में दिक्कत होगी. इधर इस विषय पर बस के मालिक का पक्ष लेने के लिए कई दफा फोन किया गया लेकिन उन्होंने कॉल उठाया ही नहीं.
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