गिरिडीहः पशु तस्करों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के दौरान जिन मालवाहकों को पकड़ा जा रहा है, उसकी तस्वीर विचलित करने वाली रही है. एक मालवाहक पर चार से पांच दर्जन कभी इससे भी अधिक पशुओं को गिरिडीह के रास्ते पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश के बॉर्डर तक ले जा रहे तस्कर काफी क्रूर होते हैं. ज्यादातर मवेशियों के चारों पैर को बांध कर एक-एक मालवाहक पर ठूंसा जाता है. क्रूर स्वभाव के करण ही तस्करी के दौरान पशुओं की दुःखद मौत से इन्हें फर्क नहीं पड़ता. हालांकि हाल के तीन माह के दरमियान ऐसे तस्करों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई हुई है. इन तीन माह में गिरिडीह एसपी दीपक कुमार शर्मा की टीम ने एक दो नहीं बल्कि लगभग 700 पशुओं को मुक्त करवाया है. इन पशुओं की सेवा अभी मधुबन-पचम्बा गौशाला में हो रही है.
रास्ते में किसी की भी जान ले सकते हैं तस्करः पशु तस्कर कभी कंटेनर तो कभी दूसरे मालवाहक पर पशुओं के ले जाने के समय वो किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं. इनके वाहनों की रफ्तार काफी अधिक भी रहती है. ये अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को कुचल देने पर आमदा रहते हैं. पिछले माह ही डुमरी में पुलिस से बचने के चक्कर में इसी तेज रफ्तार के कारण मवेशी लदा मालवाहक दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें मवेशियों की मौत हुई थी. जबकि सितंबर माह में इसी तरह का हादसा बेंगाबाद में हो चुका था. ऐसे नहीं है कि पशु तस्कर आज से आक्रमक हैं. 10 जुलाई 2016 को तो उस वक्त के सरिया-बगोदर एसडीपीओ दीपक कुमार शर्मा (वर्तमान एसपी) को कुचलने का प्रयास किया था.
नशीली दवा-तनाव के कारण चिल्ला नहीं पाते हैं पशुः पशु तस्करी के दौरान पीड़ा होने के बावजूद पशु चिल्ला नहीं पाते हैं. इस विषय पर जानकार बताते हैं कि पशुओं को शांत रखने के लिए तरह तरह की दवा दी जाती है. तस्कर सिक्वल से लेकर एनेस्थीसिया (संवेदनहीनता उत्पन्न करने की दवा) का इंजेक्शन हल्की मात्रा में दे देते हैं ताकि पशु चिल्ला भी नहीं सके. पशु चिकित्सक डॉ. पूनम बताती हैं कि तस्करी के दौरान पशुओं को नशीली दवा दिया जाता ही होगा बहुत ज्यादा स्ट्रेस में आने के कारण भी पशु शांत हो जाते हैं.
यूपी-बिहार में लोड होते हैं पशुः गिरिडीह के रास्ते जिन मवेशियों को पश्चिम बंगाल के इलम बाजार, पानागढ़, कोलकाता के बुचड़खाने में ले जाया जाता है. इन मवेशियों बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा झारखंड के पलामू में लोड किया जाता है. मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक रविवार को बिहार के औरंगाबाद के मदनपुर, सोमवार को गया की शेरघाटी, मंगलवार को सोन नदी के किनारे औरंगाबाद के बारुण, बुधवार को पलामू के छतरपुर के नवडीहा, शुक्रवार को औरंगाबाद-बिहार सीमा के संडा, शनिवार को औरंगाबाद के शिवगंज में साप्ताहिक हाट लगता है. इन हाट में तस्कर एक्टिव रहते हैं. यहां पशुओं को खरीदते हैं और शाम होने के बाद कंटेंनर में लोड कर तस्करी के लिए भेज दिया जाता है. हाल में बगोदर, डुमरी, निमियाघाट में जिन मवेशियों को पकड़ा गया है, उससे यह बात सामने आयी है कि मवेशियों को दूसरे प्रदेश में ही लोड किया गया था. वहीं जिन तस्करों, वाहन के चालक खलासी के साथ वाहन मालिक पर मुकदमा हुआ वे भी दूसरे प्रदेश के हैं.