गिरिडीह: जिले के बगोदर प्रखंड क्षेत्र के काली चट्टान बिरहोरटंडा की आदिम जनजाति बिरहोर (Birhor) समस्याओं से घिरी हुई है. इस समुदाय के कई परिवार पिछले एक महीने से उजड़े मकान में रहने को लाचार हैं. इसके अलावा सरकारी स्तर पर पेयजल की सुविधा के लिए बनाई गई पानी टंकी और आंगनबाड़ी केंद्र के निकट स्थित चापाकल भी खराब पड़ा हुआ है. इससे इस परिवार के लोगों में सरकारी तंत्र के प्रति नाराजगी है. इस समुदाय ने सरकारी व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ-साथ उजड़े मकानों की शीघ्र मरम्मत और भविष्य के लिए पक्का मकान बनाए जाने की मांग की है.
समस्याओं से घिरी आदिम जनजाति बिरहोर, आंधी में टूट गया आशियाना और पानी का भी नहीं इंतजाम
गिरिडीह के बगोदर प्रखंड क्षेत्र में विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति बिरहोर (Birhor community) समस्याओं से घिरी है. प्रकृति की ओर से बरपाए गए कहर के बाद एक महीने से कई परिवार उजड़े मकान में रहने को लाचार हैं. वहीं पानी टंकी और चापाकल भी खराब पड़े हुए हैं.
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मकानों का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त
काली चट्टान बिरहोरटंडा में बिरहोर समुदाय (Birhor community) के 35 परिवार रहते हैं. इसमें अधिकांश का खपरैल मकान है, जो सालों पूर्व सरकारी स्तर पर ही बनाए गए थे. मकान के ऊपरी हिस्से में चद्दर और फिर ऊपर में खपरैल है. 30 अप्रैल को इस इलाके में जमकर आंधी तूफान के साथ ओलावृष्टि हुई थी. इसके कारण कई मकानों का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया. परिणाम स्वरूप हल्की बारिश होने पर भी पानी टपकने लगता है. इससे घर वालों की परेशानियां बढ़ जाती है. मुखिया हरि प्रकाश नारायण ने बताया कि आंधी-पानी और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुए मकानों की सर्वे कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी गई. कोविड-19 जांच के लिए शिविर लगाया गया था, लेकिन किसी ने जांच नहीं कराई. उन्होंने कहा है कि बहुत जल्द वैक्सीनेशन शिविर लगाया जाएगा. इसके लिए बीडीओ मनोज कुमार गुप्ता से इस संबंध में पहल करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि आज भी इस समुदाय में जागरुकता का अभाव है. उन्हें वैक्सीनेशन के लिए जागरूक किया जाएगा.