गिरिडीह: जिले के देवरी प्रखंड में 13 साल पहले नक्सलियों ने हैवानियत की हद पार कर बीस लोगों की हत्या कर दी थी. इस घटना में राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र की भी हत्या हुई थी. घटना के बाद इस इलाके के समुचित विकास का वादा किया गया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कैसे हुई थी घटना
घटना 26 अक्टूबर 2007 की है. झारखंड बिहार की सीमा पर चिलखारी उर्फ चिलखरियोडीह गांव स्थित उमवि चिलखरियोडीह स्थित फुटबॉल मैदान पर तूफान स्पोर्टिंग क्लब चिलखारी की ओर से तीन दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला चकाई प्रखंड के चाइना स्पोर्टिंग क्लब चडरी और गिरिडीह कॉलेज के बीच हुआ, जिसमें टाइब्रेकर में चडरी की टीम विजयी रही. फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन के बाद फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजन स्थल पर आदिवासी जतरा कार्यक्रम 'सोरेन ओपेरा, का आयोजन किया गया था. बोकारो से पचासी सदस्यीय कलाकारों की टीम जिसमें 63 पुरुष और 22 महिला कलाकार शामिल थे, की ओर से कार्यक्रम की प्रस्तुति की जा रही थी. आयोजक कमिटी की ओर से कार्यक्रम में विजेता और उपविजेता टीम के खिलाड़ियों और उनके साथ आए समर्थकों के लिए मुफ्त में जतरा देखने के लिए व्यवस्था की गई थी.
'गीत की धुन के बीच चीख पुकार से मची भगड़ग'
सभी लोग जतरा कार्यक्रम का आनंद उठा रहे थे. इसी क्रम में मध्य रात्रि में जब कार्यक्रम चरम पर था. भाकपा माओवादियों का दस्ता चिलखारी पहुंचा और कार्यक्रम स्थल को अपने कब्जे में लेकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. फायरिंग से गीत संगीत का कार्यक्रम चीख पुकार में तब्दील हो गया और लोगों मे भगदड़ मच गयी.
माओवादियों के फायरिंग में कार्यक्रम में अगली पंक्ति में बैठे झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत समेत बीस लोग मारे गए थे, जिसमें अठारह लोगों की मौत मौके पर हो गयी थी. वहीं एक युवक दिनेश वर्मा की मौत इलाज के लिए गिरिडीह ले जाने के क्रम में रासते में हो गयी थी. इस घटना में गोली लगने से घायल एक अन्य महिला पार्वती बासके की मौत इलाज के दौरान रांची रिम्स में हो गयी थी. वहीं कार्यक्रमस्थल पर मौजूद बाबूलाल मरांडी के भाई नुनुलाल मरांडी बाल बाल बच गए थे.
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