गिरिडीहः जिला में मिठाई की दुकान, रेस्त्रां, लाइन होटल, ढाबों की लंबी फेहरिस्त है. दुकानें इतनी हैं कि विभाग के पास भी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. कहा जाए तो जिलाभर में बना बनाया भोज्य पदार्थ बेचने वाले व्यवसायी लगभग 2 से तीन हजार के बीच हैं. इनमें छोटे दुकानदार भी शामिल हैं, वहीं खाद्य मसाला बनाने, सूखा राशन बेचनेवालों की संख्या अनगिनत है. जिसकी वजह से खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की गारंटी लोगों को नहीं मिल पा रही है. लॉकडाउन में खाद्य पदार्थों के दुकानों में काफी बढ़ोतरी हुई है. खाद्य पदार्थ बनाने, बेचने वालों की संख्या काफी अधिक होने के बाद भी लगभग एक हजार लोगों ने ही खाद्य लाइसेंस लिया है या रजिस्ट्रेशन करवाया है. ऐसे में विभाग को दुकानदारों को चिन्हित करने में परेशानी हो रही है.
SPECIAL REPORT: मिलावट का धंधा जोरों पर सुरक्षा मानक पर काम नहीं करते दुकानदार
लोगों की शिकायत है कि दुकानदारों की ओर से सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है. गिरिडीह शहर के रहनेवाले लोग भी कहते हैं कि दुकानदार साफ सफाई पर भी ध्यान नहीं देते. शहर के रहनेवाले सईद अख्तर का कहना है कि ज्यादातर मिठाई दुकानदारों की ओर से साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता. इसी तरह की शिकायत भाजपा से जुड़े ओमप्रकाश भी करते हैं. इनका कहना है जिस स्थान पर मिठाइयां बेची जाती है वहां तो सफाई का ध्यान अमूमन सभी दुकानदार रखते हैं, जहां मिठाई और नमकीन बनाई जाती है वहां की सफाई पर किसी का ध्यान नहीं रहता. मिलावट का धंधा भी जोरों पर वहीं जिला में मिलावट का धंधा भी जोरों पर है.
कार्रवाई के बाद भी मिलावट का धंधा जोरों पर
खाने वाले मसाले, आटा, भोज्य तेल में खुलेआम मिलावट का खेल जिला में चलता है. दो वर्ष पूर्व बगोदर थाना इलाके में मिलावटी सरसों तेल की खेप भी पकड़ी गई थी. इसके बाद मिलावटी आटा समेत कई सामानों की बरामदगी हुई थी. बगोदर थाना इलाके में जीटी रोड में पाम आयल से सरसों तेल बनाने के खेल का भी खुलासा हुआ था. हाल के दिनों खाद्य मसाले के गड़बड़ी को लेकर कई स्थानों पर छापेमारी की गयी. शहरी इलाके में मिलावटी मसालों को बनाये जाने का मामला भी उजागर हुआ लेकिन इन सभी मामले में ढिलाई बरती गयी. बगोदर के मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई परन्तु आरोपियों पर पुलिस सख्त नहीं हुई. विभाग की अपनी मजबूरी है. बताया गया कि वैसे तो खाद्य सुरक्षा को लेकर 2006 में ही एक्ट बन गया. 2011 में इसे लागू कर दिया गया. वर्ष 2015 में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी लागू कर दी गयी लेकिन 2019 तक गिरिडीह में खाद्य व्यवसाय के एक ही लाइसेंसधारी था.
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लाइसेंस प्रक्रिया में तेजी की कवायद
जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी पवन कुमार ने बताया कि खाद्य सामाग्री बनने से लेकर कंज्यूमर तक पहुंचने तक काम करनेवाले सभी कारोबारियों को लाइसेंस लेना निहायत ही जरूरी है. बताया कि जिनका टर्न ओवर 12 लाख से अधिक है उनको लाइसेंस की आवश्यकता होती है जबकि जिनका टर्न ओवर 12 लाख से कम है उन्हें रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है. सभी बड़े कारोबारी लाइसेंस ले और छोटे कारोबारी अपने प्रतिष्ठान का निबंधन करवाया. इसे लेकर डीसी राहुल कुमार सिन्हा के निर्देश पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जब कारोबारी निबंधन के अंदर आ जाएंगे तो खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता का आकलन सही ढंग से हो सकेगा. उन्होंने बताया कि अभी जिला में लगभग 1000 रजिस्ट्रेशन हैं जिसमें 300 लोगों के पास लाइसेंस है.