गिरिडीहः जिले के बगोदर प्रखंड के तिरला पंचायत के सुदूरवर्ती इलाके में करोड़ों रूपए की लागत से बिरहोर बच्चों के लिए बनाया गया छात्रावास भवन मवेशियों का चारागाह बनकर रह गया है. आदिम जनजाति बिरहोर बच्चों के लिए बनाए गए छात्रावास का उद्घाटन नहीं होने से इसके उद्देश्य पर जहां सवाल उठ रहे हैं वहीं भवन के खिड़की- दरवाजे भी टूटने लगे हैं.
छात्रावास बना चारागाह
बता दें कि डेढ़-दो साल पहले ही आदिम जनजाति बिरहोर के बच्चों के लिए भवन बनकर तैयार हो गया है. मगर अबतक यह चालू नहीं हुआ है. इसी कारण छात्रावास परिसर इन दिनों मवेशियों के लिए चारागाह बना हुआ है. यहां मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है और वे चारा चरते रहते हैं.
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छात्रावास से 30- 40 किमी की दूरी में बसे हैं आदिम जनजाति
तिरला पंचायत में आदिम जनजाति बिरहोर बच्चों के लिए यहां छात्रावास कैसे बना इसकी जानकारी यहां के जन प्रतिनिधियों को भी नहीं है. हालांकि छात्रावास से 30 से 40 किमी की दूरी में ही आदिम जनजाति बिरहोरों की आबादी बसी हुई है. बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत बूढ़ाचांच, बिरहोर, धरगुल्ली पंचायत के कारीचट्टान, बिरहोर टंडा और सरिया प्रखंड के अमनारी, मंदरामो और पीपराडीह में बिरहोरों की आबादी है.
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विधायक और पूर्व विधायक ने जताई आपत्ति
इस संबंध में बगोदर विधायक नागेंद्र महतो और पूर्व विधायक विनोद सिंह ने यहां छात्रावास बनाए जाने पर आपत्ति जताई है. विधायक नागेंद्र महतो ने बताया कि छात्रावास को आदिम जनजाति के इलाके में न बनाकर यहां बनाया जाना इसकी उपयोगिता पर सवाल खड़ा कर रहा है. उन्होंने बताया कि मामले को विधानसभा में भी उठाया गया है.
वहीं, पूर्व विधायक विनोद सिंह ने कहा कि उनके कार्यकाल में छात्रावास बनाए जाने की स्वीकृति दी गई थी. आदिम जनजाति बिरहोर के इलाके अमनारी में भवन बनना था. उस समय बगोदर और सरिया एकीकृत प्रखंड था. छात्रावास जब दो- तीन साल पहले बनना शुरू हुआ था, उस समय इसके उद्देश्य पर सवाल उठाया गया था और तत्कालीन डीसी से शिकायत के साथ अखबारों के माध्यम से इसका विरोध जताया था. इधर, विधायक नागेंद्र महतो के विधायक प्रतिनिधि राजू सिंह ने भी बिरहोर इलाके में छात्रावास नहीं बनाए जाने पर इसके उदेश्यों पर सवाल खड़ा किया है.