गढ़वाः जिले में ग्रामीणों के सार्थक प्रयास से बंजर पहाड़ी हरी-भरी हो गई है. यहां स्थित योगियानाथ धाम न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. ग्रामीणों के इस प्रयास की चारों ओर सराहना हो रही है. जानकारी के अनुसार डंडई प्रखंड के टोरी कला, नावाडीह, लोरा, सिकरिया, पोखरिया, चकिया, कपाट, सोती और तसरर गांव की सीमा से सटे 90 एकड़ में फैली एक पहाड़ी स्थित है.
पूर्व में पौधों की अंधाधुंध कटाई और मवेशी के विचरण के कारण पहाड़ी बंजर हो गई थी. उसी पहाड़ी पर एक योगी रहा करते थे. वह अचानक वहां से गायब हो गए थे, जिसके बाद उस पहाड़ी पर उनका कुछ अवशेष प्राप्त हुए थे, जिससे यह कयास लगाया गया कि उन्होंने पहाड़ पर ही समाधि ले ली होगी. योगी जब जिंदा थे, तो गांव-गांव में घूमकर पहाड़ को बचाने की मदद मांगते थे.
पहाड़ी बनी योगियानाथ धाम, शिव मंदिर की स्थापना
योगी के समाधि लेने के बाद आसपास के ग्रामीणों ने 2013 में पहाड़ी पर एक बड़ी बैठक कर पहाड़ी का नामकरण योगियानाथ धाम के रूप में कर दिया. योगी बाबा मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया, जिसके बाद वहां पहाड़ी के टॉप पर शिव चबूतरा का निर्माण किया गया. पथ विहीन पहाड़ के टॉप पर चढ़ना मुश्किल था.
इस कारण ग्रमीण एक-एक लीटर पानी, दो-दो किलो छर्री, बालू, सीमेंट लेकर वहां पहुंचते थे. ग्रामीणों के इस चट्टानी प्रयास से वहां योगी की भव्य प्रतिमा और शिव मन्दिर का निर्माण किया गया. अब वहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि और सावन पूर्णिमा को भव्य मेला का आयोजन होता है. जहां गढ़वा जिले के अलावे दूसरे जिले और दूसरे राज्यों छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, बिहार से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
मवेशी चराने और लकड़ी काटने पर प्रतिबंध