गढ़वा: झारखंड में नौकरी-रोजगार के लिए 11-13 जिलों के फार्मूला से पलामू के लोग पहले से ही आहत थे, अब झामुमो सरकार की नई रोजगार नीति से लोग खफा हैं. झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की परीक्षाओं में हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषा को शामिल नहीं किए जाने पर रविवार को भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए. पूर्व विधायक सत्येंद्र तिवारी के नेतृत्व में भाजपाइयों ने सीएम हेमंत सोरेन और स्थानीय विधायक सह मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का पुतला दहन (Protest in garhwa) किया.
ये भी पढ़ें-रिलीज से पहले विवादों में घिरी झारखंड के खोरठा भाषा में बनी फिल्म 'पिक्चर अभी बाकी है', ये है वजह
JSSC की परीक्षा से हिंदी को हटाने का विरोध, भाजपा कार्यकर्ताओं ने गढ़वा में फूंका सीएम का पुतला
झारखंड की राजनीति में अब एक और विवाद जुड़ गया है. अब झारखंड में भाषा विवाद के चलते सियासत गरम हो रही है. जेएसएससी की परीक्षा से हिंदी को बाहर करने और भोजपुरी, मगही को न शामिल करने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन (Protest in garhwa ) किया.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि झामुमो सरकार ने झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (जेएसएससी JSSC) की परीक्षा (JSSC exam) से हिंदी को बाहर कर दिया है और भोजपुरी, मगही भाषा को भी शामिल नहीं किया है. जबकि गढ़वा-पलामू में इन्हीं तीनों भाषाओं को ज्यादातर लोग समझते हैं और बोलते हैं. इससे सरकार का फैसला क्षेत्र की उपेक्षा को दर्शाता है. भाजपा कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र से विधायक और पेयजल आपूर्ति मंत्री पर भी सवाल उठाए. इसी को लेकर भाजपा के पूर्व विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया और मार्च निकालकर रंका मोड़ पर सीएम और मंत्री का पुतला फूंका.
पेयजल मंत्री ने किया पलटवार
भाजपा के पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि सरकार की मंशा पलामू-गढ़वा की उपेक्षा करना है. भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. हर हाल में हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषा को जेएसएससी के सिलेबस में शामिल कराया जाएगा. वहीं स्थानीय विधायक सह झारखण्ड सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर का कहना है कि भाजपा जब सरकार में थी तो उसने 11-13 जिले का फार्मूला लागू कर पलामू के विद्यार्थियों को रोजगार से वंचित कर दिया था, झामुमो की सरकार में ऐसा नहीं होगा.