गढ़वा: राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम से गढ़वा के किसानों के मुझाये चेहरे खिलने लगे हैं. अब उनके उत्पादों की उच्ची बोली लग रही है और उच्चतम मूल्य पर ऑनलाइन बिक्री भी होने लगी है. इसी तरह गढ़वा के मंडी में भी झारखंड के विभिन्न जिलों से सब्जी और फल खरीदे जा रहे हैं. किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ बिचौलियावाद से निजात दिलाने का यह प्रमुख कार्य कर दिखाया है. गढ़वा बाजार समिति के सचिव राहुल कुमार ने किसानों को प्रेरित कर ई-नाम से जोड़ा और उन्हें हर मोड़ पर सहयोग प्रदान किया.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में राष्ट्रीय कृषि बाजार की शुरुआत की थी. जिसे ई-नाम का नाम दिया गया है. जिससे किसानों को निबंधित करना है. इसका एक पोर्टल जारी किया गया. जिसमें कृषि उत्पादों के नाम और मूल्य भी अंकित होते हैं. जिसके माध्यम से देश के किसी कोने से कृषि उत्पादों को खरीदा या बेचा जा सकता है लेकिन किसानों का इस ओर झुकाव संतोषजनक नहीं रहा.
लॉकडाउन में जब फिजिकल मार्केट प्रभावित होने लगे तब किसानों को ई-नाम का महत्व समझ में आया. इस क्षेत्र में सक्रियता दिखाकर ई-नाम के तहत अंतरराज्यीय व्यापार करने वाला झारखंड का गढ़वा पहला जिला बनने का गौरव हासिल किया. गढ़वा का झारखंड के अलावे छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से ऑनलाइन कारोबार हो रहा है.
किसानों को ई-नाम से जुड़ने के लिय प्रेरित
देश में लॉकडाउन लगने के बाद किसानों का उत्पाद खेतों में ही खराब होने लगा. बाजार समिति गढ़वा से भी किसानों को तीतर-बितर कर दिया गया तब बाजार समिति के सचिव ने किसानों को ई-नाम से जुड़ने के लिय प्रेरित किया. किम कर्तव्य विमूढ़ बने किसानों को सचिव की बात समझ में आ गयी. वे ई-नाम से रजिस्टर्ड होने लगे और ऑनलाइन बिजनेश का राह अपनाने लगे.