गढ़वा: दूसरों का जटिल से जटिल रोग ठीक कर नया जीवन प्रदान करने वाले खुद गढ़वा के डॉक्टर ही नर्क का जीवन जी रहे हैं. गंदे सड़े पानी की बदबू और कीड़े मकौड़े से घिरे अपने आवास में वे बेहद डरे हुए हैं. आयुष अस्पताल और कुपोषण केंद्र भी जल जमाव की जद में है. सिविल सर्जन कहते हैं कि इसका हल उनके पास नहीं है. जितना प्रयास करना था कर चुके. उससे कोई फायदा नहीं हुआ. अब वह कुछ भी करने की स्थिति में नहीं हैं. बरसात के दिनों में सदर अस्पताल परिसर समंदर में तब्दील हो जाता है. आम मरीजों की परेशानी केवल अस्पताल में रहने तक होती है, किंतु परिसर के आवासीय क्षेत्र के क्वार्टर में रह रहे सदर अस्पताल की उपाधीक्षण डॉ. रागनी अग्रवाल, सर्जन डॉ. अमित कुमार, एनेस्थीसिया डॉ. आरएस सिंह, फिजिशियन डॉ. टी पीयूष, आर्थोपेडिक डॉ. एस के रमण के अलावा अन्य चिकित्सक और काफी संख्या में रह रहे कर्मचारी 24 घंटे परेशान रहते हैं.
गढ़वा में दूसरों को जिंदगी देने वाले डॉक्टर खुद जी रहे नर्क का जीवन, सीएस के पास नहीं है कोई उपाय - Doctor in Sadar Hospital in Garhwa upset with system
गढ़वा में डॉक्टर ही नर्क का जीवन जी रहे हैं. गंदे सड़े पानी की बदबू और कीड़े मकौड़े से घिरे अपने आवास में वे बेहद डरे हुए हैं. आयुष अस्पताल और कुपोषण केंद्र भी जलजमाव की जद में है.
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वहीं, आयुष अस्पताल और कुपोषण केंद्र भी पानी में डूबा रहता है. वर्षा का पानी परिसर में जमा तो हो जाता है, परंतु उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल पाता है. इस कारण लोगों को सड़े और बदबूदार पानी में घुसकर अपने आवास में जाना और आना पड़ता है. परिसर में कई दिनों तक पानी जमे रहने से वहां तेजी से बदबू फैल चुकी है. इससे वहां रहने वाले लोग परेशान और कई रोगों से ग्रसित हो जाने से सशंकित हैं. इस संबंध में संपर्क करने पर सिविल सर्जन डॉ. एनके रजक ने कहा कि क्वार्टर की बनावट ऐसी है कि वर्षा का पानी बाहर नहीं निकलता है. वह नगर परिषद और प्रशासन को पत्र भी लिख चुके हैं, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला. डीजल पंप से भी परिसर का पानी निकलना मुश्किल है क्योंकि आसपास का क्षेत्र ऊंचा है. यह समस्या हर वर्ष होती है.