जमशेदपुर:कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है. इस बीमारी के लिए काफी शोध किए गए हैं और समय के साथ बदलाव भी देखा जा रहा है. जमशेदपुर में टाटा स्टील कंपनी स्थापित करने के साथ आम जनता को चिकित्सा मुहैया कराने के लिए टाटा घराने ने टीएमएच अस्पताल का निर्माण कराया, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी को देखते हुए शहर में कैंसर अस्पताल की सुविधा दी. जिसमें आज विश्वस्तरीय तकनीक के जरिए कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज हो रहा है. जहां शहर के ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से कैंसर पीड़ित मरीज आकर इलाज करवा रहे हैं. डॉक्टर की माने तो खान-पान और रहन-सहन में बदलाव कैंसर का मुख्य कारण है, जबकि आज अत्याधुनिक तरीके से इलाज के कारण कैंसर पीड़ितों की जिदंगी बढ़ गई है.
कैंसर एक ऐसी बीमारी जिसके नाम से ही जिंदगी छोटी होने लगती है. विश्व के प्रायः सभी देश कैंसर को मात देने के लिए शोध करने में लगे हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए अस्पतालों की संख्या बढ़ी है. सरकारी और निजी सेक्टर कैंसर बीमारी के इलाज के लिए काम कर रहे हैं. कैंसर को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. 100 साल पुराने जमशेदपुर शहर में सिर्फ कैंसर के इलाज के लिए 1975 में मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल MTMH की स्थापना की गई. जिसका उद्घाटन जे आरडी टाटा ने किया. अस्पताल में सिर्फ 72 बेड थे. पूर्व में कम संख्या में कैंसर के मरीजों पहुंचते थे. समय के साथ-साथ कैंसर पीड़ितों के आंकड़े बढ़ने लगे. जिसे देखते हुए टाटा ट्रस्ट ने 2018 में MTMH को अपग्रेड करते हुए 128 बेड की व्यवस्था की. अस्पताल में इलाज के लिए विश्वस्तरीय नई तकनीक के अत्याधुनिक मशीन को स्थापित किया गया.
MTMH का इतिहास
- जमशेदपुर में कैंसर के इलाज के लिए 1975 में मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल MTMH की स्थापना
- जेआरडी टाटा ने किया था अस्पताल का उद्घाटन
- उदघाटन के समय अस्पताल में 72 बेड की थी व्यवस्था
- मरीजों की बढ़ती संख्या देखते हुए टाटा ट्रस्ट ने 2018 में MTMH को किया अपग्रेड
- 2018 में अपग्रेडेशन के बाद 128 बेड की व्यवस्था की गई
MTMH में कैंसर मरीजों का बेहतर इलाज
MTMH की डायरेक्टर सुजाता मित्रा बताती हैं कि कैंसर के बेहतर इलाज के लिए आज दूरदराज से मरीज यहां आते हैं. शरीर में कैंसर डिटेक्ट करने के लिए पेट सीटी मशीन की व्यवस्था है. जो झारखंड में कहीं नहीं है. कीमोथैरेपी के लिए मरीजों को रुकना नहीं पड़ता है. इसके लिए डे केयर की व्यवस्था की गई है. मेडिकल ऑन्कोलॉजी और रेडियोथैरेपी की पूरी व्यवस्था यहां है. ल्यूकीमिया ब्लड कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि कैंसर अस्पताल प्रॉफिट के लिए नहीं बल्कि सेवा देने के लिए तत्पर है.
MTMH में कैंसर के मरीज
- MTMH में प्रतिदिन कैंसर के आने वाले मरीजों की संख्या 100 के लगभग
- अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज की संख्या 800 के लगभग प्रतिमाह
- कैंसर से मृत्यु होने वालों की संख्या 20 से 22 प्रतिमाह
कई तरह के होते हैं कैंसर
कैंसर के कई रूप हैं, जिनमे ब्लड कैंसर, लंग्स कैंसर, ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और बोन कैंसर के मरीज ज्यादा देखे जाते हैं. अस्पताल में मरीज के आने पर बायप्सी, ब्लड और मज्जा की जांच के जरिये कैंसर का सही पता चलता है. जिसके लिए लैब में जांच की जाती है. अत्याधुनिक मशीन के आने से मरीजों को जांच रिपोर्ट जल्द उपलब्ध हो पा रहा है.
जल्दी रिपोर्ट मिलने से जल्द होता है इलाज