घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम:पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झांटी झरना पंचायत के फुलझोर गांव के पास कायरा पहाड़ पर बाघिन और इसके साथ इनके बच्चे आये हुए हैं. जिससे ग्रामीण पूरी तरह से भयभीत हैं. बाघिन अपने बच्चों के साथ जंगल में पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं. जंगल में बाघ के आने की पुष्टि वन विभाग भी कर चुका है.
चरवाहों ने दी बाघिन की सूचना
दरअसल, गांव के पास पहाड़ी और जंगल में बाघिन के आने की जानकारी ग्रामीणों को उस समय लगी जब ग्रामीण दोपहर में अपनी गाय-बैलों को लेकर चराने के लिए जंगल में ले गए. इस दौरान पहाड़ी के जंगल से सभी गाय-बैल और बकरियां समेत पालतू पशु जोर-जोर से चिंघाड़ते हुए जंगल की तरफ से गांव की ओर भागने लगे. इस दौरान लोगों ने देखा कि जंगल में चरने गए गाय-बैलों में दो बैलों के गर्दन से खून बह रहा है, उसके शरीर पर जंगली जानवर के पंजे का निशान है. इस दौरान ग्रामीणों का एक बैल लापता है. जबकि दर्जनों बकरियां दूसरे दिन जंगल से वापस गांव पहुंची, इसकी चर्चा गांव में आग की तरह फैल गई.
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वन विभाग ने की पंजे के निशान की पुष्टि
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को दी. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर घटना की जानकारी ली और जांच के क्रम में पहाड़ी के ऊपर झरना के पास बाघिन और इसके बच्चे के पैर के निशान भी मिले. जिसकी जांच करने पर बाघिन के पंजे के निशान की पुष्टि हुई. घटना के बाद से आस-पास के ग्रामीण काफी सहमे हुए हैं और अपने-अपने गाय बैलों को बांध कर रख रहे हैं. घायल बैल पूरी तरह से बीमार है और खाना पीना भी छोड़ दिया है.
विधायक और अधिकारी पहुंचे गांव
इधर, घटना की सूचना पाकर जिले के डीएफओ अभिषेक कुमार वन विभाग की टीम और डॉक्टरों की टीम को लेकर गांव पहुंचे. जंगल और पहाड़ियों पर जा कर जांच भी की और बाघिन के मूवमेंट का पता लगा रहे हैं. पशु चिकित्सक ने बाघ के पंजे से घायल बैल का इलाज भी किया. जानकारी मिलते ही घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन भी अपने समर्थकों के साथ गांव पहुचंकर ग्रामीणों से मिले और मामले की जानकारी ली. विधायक रामदास सोरेन ने ग्रामीणों से मिलकर इनकी समस्याओं को सुना और डीएफओ अभिषेक कुमार से ग्रामीणों को क्षति पूर्ति दिलाने की बात कही.
डरे हुए हैं ग्रामीण
बता दें कि गांव की इस पहाड़ी पर ब्रिटिश काल में ही मैगनीज पत्थर की खुदाई करने के लिए और एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक पहुंचने के लिए कई बड़ी-बड़ी सुरंग बनवाए गए थे. जो काफी खतरनाक हैं और इसमें जंगली पशुओं का ठिकाना है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पहाड़ पर बाघ आने के बाद से सभी ग्रामीण पूरी तरह से डरे हुए हैं.