जमशेदपुरः जमशेदपुर के बिष्टुपुर गोपाल मैदान में झारखंडवासी एकता मंच की ओर से आयोजित विशाल टुसू मेला में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं मेला में जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मंच नहीं है. युवा पीढ़ी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी संस्कृति और परंपरा को ना भूलें. इस दौरान उन्होंने मंच से टुसू के गीत गाकर लोगों को झूमाया.
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प्रत्येक वर्ष 21 जनवरी के दिन लगता है टुसू मेलाःजमशेदपुर के बिष्टुपुर गोपाल मैदान में विशाल टुसू मेला का आयोजन किया गया था. प्रत्येक वर्ष 21 जनवरी के दिन झारखंडवासी एकता मंच की ओर से विशाल टुसू मेला का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष भी आयोजित मेले में कोल्हान के विभिन्न क्षेत्र के अलावा झारखंड के सीमावर्ती इलाके से सटे बंगाल और ओड़िशा से टुसू की मूर्ति और ऊंचे-ऊंचे चौडल के साथ लोग टुसू मेला में शामिल हुए. इस दौरान आयोजक की ओर से झारखंड के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान सुनील महतो की पत्नी पूर्व सांसद सुमन महतो, सुधीर महतो की पत्नी विधायक साबिता महतो, सरिता महतो, मुख्य संयोजक आस्तिक महतो के अलावा अन्य प्रबुद्ध लोग मौजूद रहे.
मेला में एक लाख से अधिक लोगों की उमड़ी भीड़ः विशाल टुसू मेला में एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ी थी. जिसमें आदिवासी महिलाएं और पुरुष अपने पारंपरिक परिधान में ढोल-नगाड़े और मांदर की थाप के साथ जगह-जगह पारंपरिक गीतों पर झूम रहे थे. वहीं आयोजक द्वारा विशाल टुसू मेला में सबसे ऊंचा चौडल और सुंदर सजावट के साथ टुसू की मूर्ति लाने वाली टीम को नगद इनाम की राशि दी.
पूर्व सांसद सुनील महतो की पहल पर टुसू मेला की हुई थी शुरुआतः आपको बता दें कि जमशेदपुर के पूर्व सांसद सुनील महतो की पहल पर वर्ष 2006 में पहला टुसू मेला का आयोजन गोपाल मैदान में किया गया था. जिसका उद्देश्य विशाल टुसू मेला को सांस्कृतिक मंच देना था, ताकि इसका कोई राजनीतिकरण नहीं हो. तब से लेकर आज तक इस मेले का आयोजन प्रतिवर्ष जनवरी माह के 21 तारीख को किया जाता है. पिछले दो साल कोरोना काल के कारण टुसू मेला का आयोजन नहीं हो पाया था. यही वजह था कि इस साल हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ गई.
युवा वर्ग से सांस्कृतिक पहचान बचाए रखने की अपीलः इस दौरान टुसू मेला में मौजूद लोगों से झारखंड वासी एकता मंच के संयोजक जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि सभी भाषा, धर्म के लोगों की अपनी-अपनी संस्कृति की अलग-अलग पहचान है. आदिवासियों का टुसू पर्व सप्ताह भर मनाया जाता है. इस पर्व में गरीब, अमीर, किसान सभी उत्साहित रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस मंच पर सभी राजनीतिक दल के लोग हैं, लेकिन यह राजनीतिक मंच नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ सांस्कृतिक मंच है. उन्होंने कहा है कि वर्षों पुरानी अपनी परंपरा संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए. युवा पीढ़ी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी संस्कृति को ना भूलें. इस दौरान उन्होंने मंच से टुसू के गीत गाकर लोगों को झूमाया.