जमशेदपुर: महाकवि रविंद्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर आज सुबह में कविगुरु को विभिन्न माध्यमों से श्रद्धांजलि देने का कार्य शहर में कला और संस्कृति को कवि गुरु के नाम पर बढ़ावा देने वाली संस्था टैगोर सोसाइटी के बैनर तले हुआ. इसमें सर्वप्रथम सुबह रविंद्र भवन परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम के साथ इसकी शुरुआत हुई. इस अवसर पर टैगोर सोसाईटी के अध्यक्ष डॉ. एच.एस. पॉल और महासचिव आशीष चौधरी ने वृक्षारोपण किया. इस अवसर पर कविवर द्वारा रचित गीत 'मरु विजयेरो केतन ओराओ' को टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस के प्राचार्य चन्दना चौधरी द्वारा गाया गया. इसके बाद अध्यक्ष डॉ. एच. एस. पॉल और महासचिव आशीष चौधुरी ने रविंद्र भवन परिसर में स्थापित कविवर की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पार्घ्य किया.
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शाम को रविंद्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर टैगोर सोसाईटी द्वारा संचालित टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस के शिक्षक, शिक्षिकाएं और विद्यार्थियों जमशेदपुर के स्थानीय रविंद्र संगीत कलाकारों के द्वारा स्मरण के माध्यम से कविवर को याद किया गया, जिसे वर्तमान संदर्भ कोविड-19 के कारण वर्चुअल रूप प्रदान किया गया. इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए टैगोर सोसाइटी के महासचिव आशीष चौधरी ने कहा कि यह आयोजन सामूहिक रूप से मनाने का आनंद अलग है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में कोविड-19 में सबकी सुरक्षा को ध्याम में रखते हुए इसका यह वर्चुअल रूप समय की आवश्यकता थी. कविगुरू की प्रासंगिकता आज दशकों बाद भी उसी तरह ही है.
रविंद्र नाथ टैगोर से जुड़ी कुछ बातें
बता दें कि 7 मई 1861 को कोलकाता में टैगोर का जन्म हुआ था. पिता देवेंद्रनाथ टैगोर और मां शारदा देवी को उनसे काफी स्नेह था. वह 13 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद टैगोर ने इंग्लैंड में दाखिला लिया. उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से लॉ (कानूनी शिक्षा) प्राप्त की. हालांकि, डिग्री से पहले वे भारत लौट आए. टैगौर को राष्ट्रगान के रचियता के रूप में भी जाना जाता है. भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन अधिनायक' उन्हीं की रचना है. इतना ही नहीं बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी उन्हीं की रचना है. यहां तक कि श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी कविता से प्रेरित माना जाता है. उन्होंने करीब 2,230 गीतों की रचना की.