जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम की सड़कों, दुकानों, गैरेज, सड़कों पर रोजमर्रा का सामान बेचते दिख जाते हैं. ये सभी बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं. इनमें से कई बच्चों के ऊपर जबरन काम थोपा जाता है तो कई बच्चों को दो वक्त की रोटी के नाम पर बाल मजदूरी की ओर ढकेला जाता है. एक और बच्चे गली, मोहल्लों में सामान बेचने को मजबूर हो रहे हैं तो वहीं दूसरी और कई बच्चे दो वक्त की रोटी की तलाश में भटक रहे हैं. इनमें से कई बच्चों के हाथ में जिस उम्र में स्कूल बैग और पुस्तक होनी चाहिए थी, वहीं ऐसे कई बच्चे अपनी जीविका चलाने के लिए मजदूरी का काम कर रहे हैं.
पूर्वी सिंहभूम में बाल मजदूरी के शिकार बच्चे
जमशेदपुर में बाल मजदूर से जुड़े संस्था के निदेशक बताते हैं. जमशेदपुर में तकरीबन ग्यारह से बारह हजार बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं. कई कानून सरकार की ओर से बनाए तो जाते हैं, लेकिन वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं. बाल मजदूरी से जुड़े सभी दस्तावेज राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दी गई थी, वर्ष 2020 तक भी इसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई.
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बाल मजदूरी में संलिप्त बच्चों के लिए कानून
वैसे तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से बाल मजदूरी के शिकार हो रहे बच्चों के लिए कई कानून बने. इनका इस्तेमाल कमोबेश ही किया जा रहा है. राज्य सरकार ने बाल मजदूरी रोकने के लिए कारखाना अधिनियम बनाया.