जमशेदपुरःशहर के एग्रिको स्थित तारापोर स्कूल की वाइस प्रिंसिपल इशिता डे को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इशिता डे को शिक्षक दिवस पर ऑनलाइन सम्मानित किया है.
पिछले 16 वर्षों से इशिता कार्यरत एक अक्षर ज्ञान का गुरुदेव बताएं, धरती पर वह द्रव्य नहीं जो उनके बदले दिया जाए, इशिता के लिए यह कविता भली भांति बनी हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षिका इशिता डे ने देश भर में जमशेदपुर का नाम रोशन किया. इशिता की प्रारंभिक पढ़ाई शहर के राजेंद्र विद्यालय से हुई. भुवनेश्वर से इशिता ने अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. एग्रिको स्थित तारापोर स्कूल में इशिता पिछले 16 वर्ष से बच्चों के बेहतर जीवन को संवार रही है.
कठिन परिश्रम ने सब कुछ दियाइशिता का जन्म जमशेदपुर में ही हुआ है. वह कहती है कि उन्होंने बच्चों के बेहतर जीवन के लिए स्कूल की चारदीवारी में रात-रात भर तक का समय दिया. हर एक पल बच्चों के जीवन के लिए बेहतर विकल्प को तराशने की कोशिश करती रहती थी. शायद इसी का परिणाम है कि झारखंड के तीन शिक्षकों में इशिता का भी चयन राष्ट्रीय शिक्षक के लिए हुआ. इशिता अपने पति और बच्चों के साथ जमशेदपुर में ही रहती है.
इशिता ने बच्चों के लिए खेल-खेल में गणित सीखने का अलग प्रारूप पेश किया है, जिससे बच्चों की तकनीकी समझ भी विकसित हो रही है. इसके साथ ही इशिता तीन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अलग से शिक्षा देती है.
भविष्य का सपना
इशिता कहती है कि भारत सरकार ने झोली में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके साथ ही कई और जिम्मेदारी के लिए वह तैयार हैं. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के पाठ्यक्रम में कंटेंट विकसित करने के लिए उन्होंने अनुरोध किया है. इसके साथ ही एक बड़े वृहद पैमाने पर शिक्षा के लिए काम करना चाहती है.
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मुश्किलों में आसान सफर बनाया
इशिता अपने काम और कड़ी लगन के लिए जानी जाती है. वह कहती है कि परिवार के सपोर्ट के कारण ही आज इस मुकाम तक पहुंची हैं. इशिता को कई बार स्कूल के कामों से सात समुंदर पार तक का भी सफर तय करना पड़ता था, लेकिन तब पर भी इशिता हार नहीं मानती थी बल्कि अपने कामों में खुशियां ढूंढती रहती थी.
इशिता ने राज्य सरकार की शिक्षा नीति पर कहा कि सरकार की शिक्षा नीति एकदम बेहतर है, लेकिन इसे समाज के अंतिम पायदान तक ले जाने के लिए राज्य सरकार को इसे लागू करना पड़ेगा. राज्य सरकार की योजनाएं कहीं-कहीं लागू ही नहीं हो पाती हैं, जिसके कारण निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों में अंतर हो जाता है. राज्य सरकार की शिक्षा को बेहतर करने के लिए उनके नियमों को लागू करना अनिवार्य है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सराहा
पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर इशिता बताती है कि ऐसी शिक्षा नीति से आने वाले समय में लोगों का समग्र विकास होगा. बार-बार एक सिलेबस को दोहराना अच्छा नहीं है. इसे अच्छी तरह से लागू किया जाना चाहिए. कुछ बच्चों की पढ़ाई कोरोना के कारण खराब हुई है. बच्चों की मानसिक स्थिति खराब हुई है. इस दौरान बच्चों को अपने माता-पिता, दोस्तों से बातचीत करनी चाहिए. बच्चों के दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ा है.