जमशेदपुर:ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का एक साल बीत गया है. ब्लॉक क्लोजर के बाद कोरोना से कंपनी के उत्पादन में आई गिरावट अब मंदी की ओर इशारा कर रहा है.
ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के कारण गई थी कई नौकरियां
जमशेदपुर के ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के कारण हजारों लोगों की नौकरियां छीन गई थी. जिसके बाद हालात सामान्य होने की संभावना जताई जा रही थी. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया. इसके कारण देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कंपनी को तीन महीनों के लिए बंद कर दिया गया. जिसके बाद कर्मचारियों की हालत और भी बदतर होती रही.
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3 अगस्त 2019 को ब्लॉक क्लोजर की हुई थी शुरूआत
टाटा मोटर्स में शुरुआती दौर में 3 अगस्त 2019 को ब्लॉक क्लोजर की गई थी. ऐसे समय में ब्लॉक क्लोजर किया गया था. जब देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की मार थी. जिसके कारण हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या गहराने लगा था. ब्लॉक क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल छुट्टी का पचास फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाता है.
रोटेशन में कर्मचारियों के लिए ड्यूटी का प्रावधान
अस्थायी कर्मचारियों के लिए कंपनी प्रबंधन की ओर से रोटेशन में कर्मचारियों के लिए ड्यूटी का प्रावधान किया जाता है. जिसके बाद कर्मचारियों को महीने के आखिरी में औसतन डयूटी के दौरान वेतनमान दिया जाता है. टाटा मोटर्स प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थीं. वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स कम गाड़ी बना रही है. चार दिनों के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी दो दिनों का पैसा कर्मचारियों को देती है.
मंदी से उबर रही ऑटोमोबाइल कंपनी
देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स में साल 2019 के एक तिमाही में 39 बार ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. जिसके कारण कंपनी में तकरीबन चार हजार से ज्यादा गाड़ियों का ईंजन बनाया गया था. दूसरी तिमाही में 22 बार ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. हालांकि अभी तक कंपनी प्रबंधन ने कंपनी से किसी भी कर्मचारी को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया है. टाटा मोटर्स में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या करीब चार हजार है, जबकि स्थायी कर्मचारियों की संख्या पांच हजार है.