जमशेदपुरः देश की आजादी से पूर्व इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जमशेदजी नसरवान जी टाटा के सपनों का शहर जमशेदपुर संस्थापक दिवस मना रहा है. सौ साल पहले कालीमाटी के बाद जमशेदपुर के नाम से शहर की पहचान बनी. आज यह शहर सिर्फ झारखंड में ही नही बल्कि देश के अलावा विश्व के मानचित्र में अपनी पहचान रखता है. जमशेदजी के सपनों का शहर अपनी शताब्दी वर्ष के सफर को पार कर आगे निकल गया है और इस सफर में कई मिसाल कायम किए है. लोगों को इस शहर पर गर्व है.
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जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने रखी थी शहर की नींव
साधारण परिवार में जन्म लेने वाले जमशेदजी नसरवान जी टाटा व्यक्तित्व के धनी थे. लोहे से मजबूत इरादों वाले जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की नींव रखी और साकची नाम से बसे एक छोटे से गांव में इसकी शुरुआत की. तत्कालीन समय में साकची गांव में आबादी महज सैकड़ों में थी. आज वो गांव जमशेदपुर के नाम से जाना जाता है. दिन-प्रतिदिन नए-नए रंगों से शहर की खूबसूरती बढ़ती जा रही है, स्टील सिटी, ग्रीन सिटी और क्लीन सिटी इस शहर का संस्कार है.
सपनों का शहर जमशेदपुर का सफर
2 जनवरी 1919 में भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ कालीमाटी स्टेशन उतर कर टाटा इस्पात कारखाना देखने साकची आए. उस समय टाटा स्टील का नाम टाटा कंपनी हुआ करता था. वायसराय चेम्सफोर्ड ने अपने संबोधन में कहा कि मैं इस कंपनी से प्रभावित हूं और आज से साकची की पहचान संस्थापक जमशेदजी टाटा के नाम से होगी. इस तरह 2 जनवरी 1919 को साकची का नाम बदलकर जमशेदपुर रखा गया और कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन रखा गया.
प्रतिभा और अमन-चैन का शहर
धीरे-धीरे शहर की आबादी बढ़ने लगी, जो आज 20 लाख के लगभग है. इस बढ़ती आबादी में सभी जाति, समुदाय, भाषा-भाषी के लोग रहते हैं. सौ साल से ज्यादा के सफर में शहर से कई सेलिब्रिटी भी हुए हैं, जो बॉलीवुड, क्रिकेट और अन्य क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं. लौहनगरी जमशेदपुरर शहर में सुबह जहां मंदिरों से घंटी की आवाज, मस्जिद से अजान, गुरुद्वारा से गुरबाणी और चर्च से प्रार्थना से दिन की शुरुआत होती है. यही वजह है कि अमन-चैन और शांति का प्रतीक यह शहर लघु भारत के नाम से जाना जाता है. इस शहर की रूप रेखा किसी महानगर से कम नहीं है.
इस शहर में कौन से साल में क्या हुआ
1920 - टाटा वर्कर्स यूनियन की शुरुआत की गई
1921 - भारत का पहला टेक्निकल इंस्टीट्यूट एसएनटीआई की शुरुआत हुई
1932 - पहली बार संस्थापक दिवस मनाया गया और मुस्लिम लाइब्रेरी की स्थापना की गई
1935 - बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का गठन
1936 - डीएम लाइब्रेरी की शुरुआत
1937 - जेएल कीनन की याद में कीनन स्टेडियम बनाया गया, जिसमें 1939 में पहला क्रिकेट मैच खेला गया
1942 - विश्व युद्ध के दौरान टाटा की ओर से निर्मित टैंक का इस्तेमाल किया गया
1949 - उच्च शिक्षा के लिए को-ऑपरेटिव कॉलेज की स्थापना की गई
1952 - वीमेंस कॉलेज की शुरुआत की गई