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छठ पूजा के दौरान इस मंदिर की होती है अलग खासियत, हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु

छठ पर्व को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व बुधवार से नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है. इस त्योहार का जमशेदपुर में एक अलग महत्व है. यहां स्थित सूर्य धाम की एक अलग खासियत है. छठ पूजा के दौरान हजारों लोग भगवान सूर्य को अर्ध्य देने यहां पहुंचते हैं. यह सूर्यधाम मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बन चुका है.

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छठ पूजा के दौरान इस मंदिर की होती है अलग खासियत

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Published : Nov 18, 2020, 8:18 PM IST

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित सूर्य धाम एक ऐसा मंदिर है, जहां लाखों लोग सूर्य उपासना का महापर्व छठ व्रत के दौरान भगवान सूर्य को अर्ध्य देने पहुंचते हैं. सूर्यधाम मंदिर समय के साथ तेजी से श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बन चुका है. जमशेदपुर के भव्य सूर्यधाम की भव्यता के अनुरूप यहां का मुख्य द्वार भगवान भास्कर के भक्तों को प्रवेश करने का मुख्य द्वार है, जहां से प्रवेश कर सूर्य उपासक सात घोड़ों के रथ रूपी मंदिर में स्थापित भगवान सूर्य का दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं.

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शहरवासियों का अहम योगदान

लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक और पर्यटन के लिहाज से झारखंड की प्रमुख स्थलों में शुमार सूर्यधाम मंदिर की कल्पना झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का सपना था, जिसे साकार करने में शहरवासियों ने भी अहम योगदान दिया. मात्र एक साल की अवधि में मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो गया. सूर्यधाम मंदिर के मुख्य पुजारी सतीश पाठक बताते हैं कि साल 2000 से पूर्व यहां एक दुर्गा मंदिर हुआ करता था. यहां का समूचा क्षेत्र पहाड़ और जंगल-झाड़ियों से भरा पड़ा था. ऐसे में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते यहां के पूरे क्षेत्र के विकास को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार की, जिसका स्थानीय जनता ने भरपूर साथ दिया.

सूर्यधाम मंदिर में साफ-सफाई करते लोग

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भगवान सूर्य की अलौकिक प्रतिमा है स्थापित

यहां की सूर्य मंदिर की आकृति रथ के सदृश्य है. मंदिर के चारों ओर रथ के पहिये हैं. इसके ऊपरी भाग में सभी नवग्रह की छोटी-छोटी प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर के मुख्य कक्ष में संगमरमर से बनी भगवान सूर्य की अलौकिक प्रतिमा स्थापित है. मंदिर का भीतरी भाग शीशे को तराश कर शीशमहल का रूप दिया गया है, जिस पर देवी-देवताओं की आकृति उकेरी गई है. मंदिर के गुंबज पर रथ की लहराती पताका और सात घोड़ों पर सवार भगवान भुवन भास्कर का यह मंदिर श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. छठ पूजा करने या फिर सालों भर भगवान के दर्शन करने आने वालों लोगों के सुविधा को देखते हुए यहां वह सारी चीजें विद्यमान हैं, जो शायद कही और देखने को नहीं मिलती है.

सूर्यधाम मंदिर के अंदर का रास्ता

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हजारों की तादाद में पहुंचते हैं छठ व्रती

सूर्य मंदिर के साथ यहां मां दुर्गा, बजरंगबली और महादेव की प्रतिमाएं अलग-अलग मंदिर में स्थापित है. सूर्यधाम परिसर में मंदिर के सामने पूर्व की ओर दो कृत्रिम तालाब बनी हुई है, जिसकी साफ-सफाई और छठ पर्व की पवित्रता का ख्याल रख कर विशेष तौर पर तैयार किया जा रहा है. यहां सूर्य पूजा के साथ ही लोगों को रमणीक उद्यान में भ्रमण के लिए पूरे परिसर को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया गया है. हजारों की तादाद में छठ व्रती यहां अर्घ्य देने पहुंचते हैं, जिसकी आगवानी सूर्यधाम मंदिर कमिटी के बड़ी संख्या में कर्मठ सदस्य करते हैं. अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का विशेष ख्याल रखा जाता है.

सूर्यधाम मंदिर

व्रती और श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था

कोरोना महामारी के कहर के कारण छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं के लिए यहां विशेष व्यवस्था की गई है. दो गज की दूरी का पालन और सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए सूर्य मंदिर कमिटी की ओर से छठ पर्व पर विशेष व्यवस्था की जा रही है. इधर, छठ पर्व को लेकर शहर के सिटी एसपी सुभाषचंद्र जाट ने शहर वासियों को सामाजिक दूरी का पालन करने और छठ पर्व पर विशेष ध्यान देने की बात कही है.

सूर्यधाम मंदिर के निकट तालाब

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