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आज भी लकड़ियां बेच जीवन-यापन करते हैं ये आदिवासी, नहीं मिल रहा किसी योजना का लाभ - झारखंड न्यूज

जमशेदपुर का एक गांव आज भी विकास से कोसों दूर है. इस गांव के आदिवासी लोग आज भी पांरपरिक तरीके से जीवनयापन करने को मजबूर हैं. लकड़ियां बेच जीवनयापन करने वाले इन आदिवासियों को अबतक किसी तरह के विकास योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाया है.

लकड़ियां बेचने को मजबूर गांव के आदिवासी

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Published : Aug 3, 2019, 5:51 PM IST

जमशेदपुरः झारखंड स्थापना के 19 साल बीत चुके हैं. इतने सालों में भी आदिवासियों की स्थिति में सुधार नजर नहीं आ रहा है. शहर से 20 किलोमीटर दूर बोड़ाम पंचायत का राहड़गोड़ा गांव प्रकृति की गोद में बसा है. इस आधुनिक दौर में भी यहां के आदिवासी लोग सूखी लकड़ी बेच अपना जीवनयापन करते हैं. सरकारी योजनाओं की पहुंच से ये अब भी कोसों दूर हैं.

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जंगल से कोसों दूर संकीर्ण रास्तों पर से होकर सिर पर लकड़ियां उठाकर ये बाजार ले जाती हैं. इस गांव में 24 घरों में करीब 500 से ज्यादा लोग रहते है. ये घर से मिलों दूर जंगल में जाकर सूखी लकड़ियों को बाजार में बेचते हैं. इन्हें लकड़ियों के मुताबिक ही पैसे मिलते हैं. कभी 200 या 300 तो कभी कुछ नहीं मिलता है. कभी-कभी बाजार में भटकना पड़ता है. एक हफ्ते में 100 से 200 रुपए की कमाई हो जाती है. बता दें कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2018 के आंकड़ों के मुताबिक इन आदिवासी महिलाओं के बीच अब भी साक्षरता दर 46.2 प्रतिशत है.

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बहरहाल, आजतक झारखंड में सिर्फ राजनेताओं की तस्वीर ही बदली है. गांव-कस्बों और आदिवासी की जमीनी पड़ताल करेंगे तो भूख, बेबसी, लाचारी के सिवाय कुछ हाथ नहीं आएगा. यहां के लोग अपने करम और जंगलों के कारण जीते है.

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