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सावधान! मोबाइल बना रहा बीमार, सुधर जाएं नहीं तो हो जाएगी देर - इंटरनेट सस्ता होने का सकारात्मक असर

आधुनिक युग में मोबाइल के बिना जीना शायद कल्पना के बाहर है, लेकिन यह मोबाइल हमें बीमार बना रहा है. मोबाइल का दुष्प्रभाव समय के साथ दिखने लगता है. शारीरिक विकृति से लेकर कई तरह की गंभीर समस्या मोबाइल के अत्याधिक उपयोग से हो सकती हैं. जानते है मोबाइल के साइट इफेक्ट के बारे में.

युवाओं में मोबाइल का क्रेज

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Published : Aug 10, 2019, 7:07 PM IST

जमशेदपुरः मोबाइल का अधिकतर उपयोग आपको बीमार बना रहा है. लौहनगरी में इंटरनेट कनेक्टिविटी काफी बेहतर है. जिसकी वजह से शहर के 82 प्रतिशत लोग सोशल साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. अधिकतर लोग इंटरनेट पर वीडियो और फिल्म देखते हैं. ऐसे में शहर के युवा वर्ग का रुझान ऑन लाइन गतिविधियों पर ज्यादा बढ़ रहा है. कहीं न कहीं मोबाइल का अधिकतर उपयोग आपको बीमार बना रहा है.

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गंभीर रूप से कर सकता है बीमार, आंकड़े भी डराने वाले

मोबाइल से आपकी गर्दन टेढ़ी हो सकती है. आंखों की रोशनी कम हो सकती है. हड्डियों में दर्द हो सकता है. भारत में वर्ष 2016 में इंटरनेट क्रांति आई थी. 2016 से पूर्व की तुलना में मोबाईल का डेटा 95 प्रतिशत सस्ता हो गया है. इंटरनेट सस्ता होने का सकारात्मक असर पड़ने के साथ-साथ नाकारात्मक असर भी पड़ा है. किशोर, शहर के एमजीएम अस्पताल में काम करते हैं. उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन मोबाइल ने उन्हें रोगी बना दिया. हालात यह है कि आंखों से पानी आना, नींद की कमी, कान से सुनने में समस्या, कमर दर्द जैसी समस्या होती है. काफी दिनों से डॉक्टर से ईलाज भी करवा रहे हैं. लेकिन राहत नहीं है.

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मोबाइल सोचने की शक्ति कम करती है

ऑर्थो फिजिशियन ने बताया कि शहर में कई लोग मोबाइल के कारण बीमार बन चुके हैं. आंकड़ों पर गौर करें, तो 21 से 35 साल के लोगों में यह बीमारी देखने को मिल रही है. गर्दन टेढ़ी होने के साथ स्पाइन की समस्या भी लोगों को हो रही है. मोबाइल के रेडिएशन के कारण ब्रेन और सोचने की शक्ति कम कर देती है.

युवा वर्ग रोजाना 5 से 6 घंटे देते है मोबाइल को

वहीं, युवा वर्गों ने मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर कहा कि वे मोबाइल पर कम से कम 5 घंटों तक सक्रिय रहते है. युवाओं ने स्वीकार किया कि मोबाइल से समस्या बढ़ रही है. बाजार में नए गेम आने के कारण लोगों को इसकी आदत पड़ जाती है. बहरहाल डॉक्टर के पास इन समस्याओं से ग्रसित लोगों का कोई इलाज नहीं है. जल्द ही देश की करोडों आबादी रोगी बन सकते हैं. जरूरत है तकनीकी चीजों का कम-से कम इस्तेमाल किया जाए.

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