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सरयू राय ने DC को लिखा पत्र, कहा- शराब दुकानों की बंदोबस्ती प्रक्रिया की हो जांच - जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय की खबरें

पूर्ववर्ती सरकार में जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत शराब दुकानों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया की विधायक सरयू राय ने जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि कई जगहों पर दुकान चलाने का वैध अधिकार अनुज्ञप्ति धारक को नहीं है.

सरयू राय ने DC को लिखा पत्र
Saryu Rai demanded inquiry into endowment process of liquor shops

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Published : Oct 11, 2020, 10:21 AM IST

जमशेदपुर: विधायक सरयू राय ने पूर्ववर्ती सरकार में जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत शराब दुकानों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि 4/8 /2020 को सहायक उत्पाद आयुक्त ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को लिखित पत्र भेजा था.

लॉटरी के माध्यम से बंदोबस्ती

पत्र के माध्यम से उपायुक्त को बताया गया कि खुदरा उत्पाद की दुकानें ऑनलाइन विधि से लॉटरी के माध्यम से बंदोबस्ती की गई है. उक्त अधिसूचना के कंडिका 22 (1) के आलोक में संबंधित सभी अनुज्ञाधारी की ओर से आपत्ति रहित स्थल संबंधित पूर्ण विवरण उपलब्ध कराए गए. इसके बाद संबंधित अंचल के क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने जांच के बाद उत्पाद अधिनियम की धारा-47 के अंतर्गत अस्थल आपत्ति रहित प्रतिवेदन किए जाने के पश्चात अनुमोदित स्थल पर सभी खुदरा उत्पाद दुकानें कार्यरत हैं.

44 दुकानें आवंटित हुई थी आवंटित

जमशेदपुर के अंचल अधिकारी ने जांच के उपरांत 6 अक्टूबर 2020 को सहायक उत्पाद अधिकारी को बताया कि जांच के क्रम में किसी भी अनुज्ञप्ति धारक ने जमीन के संबंध में कोई भी सक्षम कागजात प्रस्तुत नहीं किया है. अतः स्पष्ट है कि भूमि पर दुकान चलाने का वैध अधिकार अनुज्ञप्ति धारक को नहीं है. पूर्वी जमशेदपुर क्षेत्र में देसी और विदेशी शराब की करीब 44 दुकानें आवंटित की गई हैं. सभी दुकानें अवैध भूमि पर पाई गई है और अंचल अधिकारी ने टिप्पणी की है कि अनुज्ञप्ति धारी की ओर से भूमि से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है.

दुकानों की बंदोबस्ती रद्द करने की मांग

विधायक ने पत्र के माध्यम से बताया कि उपायुक्त को जांच के उपरांत इन सभी दुकानों की बंदोबस्ती रद्द करनी चाहिए और अगर सरकार के लिए शराब बेचना जरूरी है तो दुकानों की बंदोबस्ती झारखंड उत्पाद नियमावली 2018 में वर्णित नियमों और शर्तों के अनुसार करे. पूर्व में की गई दुकानों की बंदोबस्ती अवैध है. इसका पता लगाना चाहिए कि दुकानों की अवैध बंदोबस्ती में किसका हाथ है और क्या यह दुकानें निहित स्वार्थ में बंदोबस्त की गई है?

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