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जमशेदपुर को औधोगिक नगर बनाए जाने का फैसला सराहनीय : सरयू राय - सरयू राय की खबरें

जमशेदपुर को औधोगिक नगर बनाने के पहल की सराहना की है. इसके लिए विधायक सरयू राय ने सरकार की तारीफ की है और एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाते हुए इसका अध्यक्ष मुख्य सचिव या विकास आयुक्त को बनाया जाने की मांग की है.

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सरयू राय

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Published : Nov 4, 2020, 3:26 PM IST

जमशेदपुर: विधायक सरयू राय ने सरकार की तरफ से जमशेदपुर को औधोगिक नगर बनाने के पहल की सराहना की है. लेकिन उन्होंने अभी तक इस मामले में स्पष्टता नहीं दिखाए जाने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सिर्फ पहल ही पर्याप्त नहीं है, औद्योगिक नगर बनाने के लिए सरकार को अनेक कदम उठाने पड़ेंगे.

सरयू राय का बयान

सरयू राय ने कहा कि वे इस मामले में सरकार को कुछ सुझाव देना चाहते हैं, सरकार अगर इस मामले में गंभीर है तो वह अपने अधीन एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाए. जिसका अध्यक्ष मुख्य सचिव या विकास आयुक्त को बनाया जाए. इसके अलावा नगर विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, कल्याण विभाग और न्याय विभाग के सचिव को इस कमेटी में रखा जाए. इन लोगों की उच्चस्तरीय कमेटी बनने के बाद जन सुविधाओं के मुद्दे सामने आएंगे और उसके बाद सरकार उस मुद्दे के तहत औद्योगिक शहर बनाने में पहल कर सकती है. उन्होंने आगे बताया कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 243 क्यूसी में यह प्रावधान है कि किसी बड़े शहर में कोई कंपनी नागरिक सुविधा देना चाहती है तो अपवाद स्वरूप सरकार वहां नगर निगम का गठन नहीं कर सकती है. लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि टाटा स्टील अपना प्रस्ताव दे.

सरयू राय ने बताया कि नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने 19 दिसंबर 2019 को टाटा स्टील को पत्र लिखकर यही बात बताने को कहा था लेकिन कंपनी ने इसका जवाब अभी तक नहीं दिया है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जमशेदपुर शहर को अगर औद्योगिक शहर बनाने की पहल की गई है तो उन्होंने सुझाव दिया है कि जो भी हो संविधान और नियम-कानून को ध्यान में रखते हुए किया जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होने कई सवाल भी उठाए हैं.

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उन्होंने कहा है कि जमशेदपुर औद्योगिक शहर बनने से कोई बाधा नहीं है. अगर टाटा स्टील सभी प्रकार के खर्च करेगा तो ऐसी स्थिति में सांसद और विधायक निधि का क्या होगा. उन्होंने कहा कि सरकार नागरिक सुविधाओं के लिए कोई टैक्स लेगी की नहीं. सरयू राय ने कहा कि अगली बैठक जब भी हो उसे मुख्य सचिव या विकास आयुक्त बुलाए और सारे विभाग के सचिव को भी उसमें आने को कहा जाए, उसके बाद ही आगे कोई नियम पारित किया जाए.

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