जमशेदपुरः शहर के पटमदा डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर भुवनेश्वर महतो कुड़माली भाषा संस्कृति का वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. इसे लेकर वे देश के कई प्रदेशों के अलावा विदेशों में जाकर कुड़माली की अलग- अलग तकनीकी पहलुओं को अपनी किताबों में समाहित करने में लगे हैं.
इसी कड़ी में बांग्लादेश से अध्ययन कर 10 दिनों की यात्रा से लौटे भुवनेश्वर महतो ने बताया है कि आधुनिक माहौल में आने वाली पीढ़ी को अलग-अलग जगहों की कुड़माली भाषा संस्कृति से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं. किसी भी जाति के लिए उनकी भाषा संस्कृति उनकी अपनी पहचान होती है. एक ही भाषा संस्कृति का अलग-अलग प्रदेशों में अंतर देखने को मिलता है. जमशेदपुर के पटमदा डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर भुवनेश्वर महतो अलग-अलग प्रदेशों में जनजातीय भाषा संस्कृति के बदलाव को अपनी पुस्तक में समाहित करने की मुहिम में लगे हुए हैं.
प्रो भुवनेश्वर महतो देश के अलग-अलग प्रदेशों में कुड़माली भाषा संस्कृति के वैज्ञानिक तथ्यों का अध्ययन करने में लगे हुए हैं. अपने अध्ययन की मुहिम में बांग्लादेश की 10 दिनों की यात्रा से वो लौटे. बांग्लादेश के सिराजगंज, ढाका और सिलेट में कुड़माली भाषा संस्कृति का उन्होंने अध्ययन किया है.