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घाटशिला: उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय का हाल बेहाल, पढ़ने की जगह कंचे खेलते दिखते हैं बच्चे

घाटशिला के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तिलाबनी की कहानी ऐसी है कि स्कूल के हालत के बारे में जानकर सरकार के दावे की सारी पोल खुल जाए. शिक्षण व्यवस्था का यह मंजर अव्यवस्था और गैर जिम्मेदारी का जीता-जागता उदाहरण है.

स्कंकूल में कंचे खेलते बच्चे

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Published : Aug 29, 2019, 3:28 PM IST

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही अव्यवस्था का मंजर हमारी आंखों के सामने मंडराने लगता है. इसकी वजह है कि हमें सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की खबर देखने-सुनने को मिलती हैं. शिक्षक की कमी और अनुपस्थिति इतने सामान्य मामले बन गए हैं कि रोज ही ऐसी खबरों से लोग आहत होते रहते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री के अपने ही जिले से ऐसी खबर आए तो लोगों का सवाल करना लाजमी हो जाता है. ताजा मामला है घाटशिला के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तिलाबनी का.

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उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तिलाबनी का हाल
उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तिलाबनी की कहानी ऐसी है कि स्कूल के हालत पर सोचकर ही रोना आता है. दरअसल इस स्कूल में क्लास लगने का समय सुबह के 8 बजे का है, लेकिन टीचर 9-10 बजे से पहले कभी स्कूल पहुंचती ही नहीं. ऐसी हालत में क्लास लगने की तो छोड़ ही दीजिए असल में स्कूल का ताला तक नहीं खुलता और बच्चे स्कूल के बाहर कंचे खेलते रहते हैं.

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ईटीवी टीम ने लिया जायजा
इस स्कूल की हालत का जायजा लेने जब ईटीवी भारत की टीम 9 बजे विद्यालय पहुंची तब बच्चे स्कूल के बाहर कंचे खेलते नजर आए. उस समय स्कूल के सभी कक्षाओं में ताला लटका था और स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चे-बच्चियां अपना बस्ता बरामदे पर छोड़कर गोली और कंचे खेल रहे थे. इस बारे में जब स्कूल के बच्चों से सवाल किया गया तो बच्चों ने कहा की स्कूल में मैम नहीं आई हैं, जिस कारण सारे कमरे बंद हैं और वह अपना बैग और किताब बरामदे पर रखकर खेल रहे हैं. स्कूल में जब टीचर आते हैं तभी यह ताला खुलता है और टीचर कभी 9 बजे आती है तो कभी 10 बजे.


सिर्फ दो शिक्षकों के भरोसे ही चल रहा है स्कूल
स्कूल में शिक्षक केवल अनुपस्थित ही नहीं रहते बल्कि यह पूरा स्कूल केवल दो लोगों के भरोसे ही चल रहा है. स्कूल में दो शिक्षिका हैं और इसमें भी इनकी सांठ-गांठ इतनी अच्छी है कि जिस दिन एक आती है उस दिन दूसरी नहीं और दूसरी आता है तो पहली नहीं. इस बारे में स्कूल के बच्चे बताते हैं कि स्कूल में दो ही मिस हैं जिनका नाम अनिता आस और माधो सोरेन है. स्कूल में कभी अनिता मिस आती है तो कभी माधो मिस.

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बीडीओ को कराया अवगत
स्कूल की सच्चाई के बारे में जब ईटीवी की टीम ने मुसाबनी के बीडीओ संतोष गुप्ता से बात की तो उन्होंने यह भरोसा दिलाया है कि मामले के दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं इसकी रिपोर्ट डीसी और डीईएसआई को देने की बात भी उन्होंने कही है.

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