जमशेदपुर: वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए अब अधिक दिन शेष नहीं रह गए हैं. 16 फरवरी को पूजा के लिए मूर्तिकारों ने मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. मूर्तियों को रंगा जा रहा है. हालांकि पहले की तरह मूर्तिकारों की ओर से इस बार काफी कम संख्या में मां सरस्वती की प्रतिमा बनाई गई है.
सरस्वती पूजा के लिए मूर्तिकार दे रहे प्रतिमा को अंतिम रूप, संस्थाओं ने गाइडलाइन जारी करने का किया अनुरोध - Few days left of Saraswati Puja
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए अब अधिक दिन शेष नहीं रह गए हैं. 16 फरवरी को पूजा के लिए मूर्तिकारों ने मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. मूर्तियों को रंगा जा रहा है. इधर पूजा समितियों ने शासन से इस संबंध में गाइडलाइन जारी करने का अनुरोध किया है.
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इस बार डेढ़ सौ से लेकर तीन हजार की मूर्तिया बाजार में उपलब्ध हैं. काफी सालों से मूर्ति बनाने वाले तानस पाल बताते हैं कि कोविड-19 के कारण उनलोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. पहले, अभी तक मूर्ति के लिए कई स्कूलों और कालेजों से मूर्ति के ऑर्डर आ जाते थे. इस बार कोरोना की वजह से अभी तक ऑर्डर नही मिला है. पहले हम सरस्वती पूजा के लिए 300 के लगभग मूर्तियां बनाते थे. इस साल सिर्फ 100 मूर्तियां ही बनाई है.
स्कूलों और कालेजों में सरस्वती की पूजा का बड़ा महत्व है. सरस्वती पूजा का छात्र और छात्राएं साल भर इंतजार करते हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण इस बार स्कूलों और कालेजों में होने वाले सरस्वती पूजा को लेकर अलग से तैयारियां की गईं हैं. जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर शुक्ला महंती ने बताया कि कॉलेज खुल चुका है और हॉस्टल में भी छात्राएं है. पूजा कॉलेज में होगी लेकिन सोशल डिस्टेंस का पालन कराया जाएगा. सरकार की ओर से कोविड-19 के सारे नियम का पूजा में पालन किया जाएगा. हालांकि हॉस्टल के छात्राएं ही इस पूजा में भाग ले पाएंगी.
उपायुक्त से स्पष्ट गाइडलाइन जारी करने का अनुरोध
वहीं सरकार ने सरस्वती पूजा के लिए कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं जारी किया है. जिससे स्कूल, कॉलेज और पूजा कमेटी अंसमजंस में हैं. शहर की समाजिक और सास्कृतिक संस्था शिक्षा सत्याग्रह ने इस मामले में सरकार से स्पष्ट गाइड लाइन जारी करने को कहा है. इस संबंध में शिक्षा सत्याग्रह के अंकित आनंद ने जिले के उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंप कर सरस्वती पूजा को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी करने का अनुरोध किया है.
उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन को सुझाव दिया है कि अंतिम क्षणों में गाइडलाइन जारी करने से ज्यादा अच्छा होगा कि स्थितियों की समीक्षा करते हुए, समय से दिशा- निर्देश जारी कर दिए जाएं ताकि आवश्यकता अनुसार संशोधन की गुंजाइश रहें.