जमशेदपुर: झारखंड की राजधानी रांची, पश्चिम बंगाल, ओडिसा और बिहार को जमशेदपुर शहर से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-33 अब तक नहीं बन पाया है. जमशेदपुर शहर की कई सड़क बदरंग तस्वीर पेश करती है. महानगरों की तर्ज पर तेजी से आगे बढ़ता झारखंड की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला जमशेदपुर प्रकृति की गोद में बसा है. लगभग एक दशक से बदहाली का दंश झेल रहा जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग जिसे जमशेदपुर की लाइफ लाइन सड़क कहा जाता है, राज्य सरकार अब तक पूरा नहीं कर पाई है.
इन सड़कों पर चलते वक्त ऐसा लगता है कि गाड़ी कभी भी पलट जाएगी. पिछले एक दशक से राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रोटी सेक रही हैं. आम व्यक्ति इस गाजे बाजे ढोल में पीस रहे है, लेकिन अब तक इस सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. वहीं जमशेदपुर शहर के अंदर कई सड़कें भी टूट चुकी हैं.
जर्जर हुई सड़क
जमशेदपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-33 की सड़कें पूरी टूटी हुईं हैं. शहर के मानगो इलाके से डिमना, पारडीह चौक से आजद बस्ती जाने वाली सड़कें, सोनारी से कदमा जाने वाली सड़कें, साकची से मैरीन ड्राइव सड़क के सहारे कदमा जाने वाली सड़कें टूटी हुई है. बागबेड़ा के इलाके की सड़कें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं. गोविंदपुर थाना क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़कें पूरी तरह से खराब हो गईं हैं.
कई लोगों ने जान गंवाई
वर्ष 2011 में राष्ट्रीय राजमार्ग 33 में तकरीबन 22 राहगीरों की मौत हो चुकी है. 2015 में कांड्रा के समीप तीन लोगों की जान जा चुकी है. 2017 में दलमा वन्य अभ्यारण के समीप टाटा मैजिक से टकराकर पांच व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. वर्ष 2019 में तीन लोगों की मौत हो चुकी है. इन सड़कों पर तकरीबन प्रतिदिन किसी न किसी की जान सड़क हादसे में जाती है.