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कीनन स्टेडियम में सर दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी की बन रही तस्वीर, सैलानी जानेंगे यहां का इतिहास

जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित कीनन स्टेडियम में टाटा के पहले चेयरमैन सर दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी के प्रेम की गाथा को याद रखने के लिए मेहरबाई टाटा के डायमंड की तरह ही तस्वीर बनाई जा रही है. सर दोराबाजी टाटा के पत्नी का डायमंड की तरह बनी तस्वीर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा. बाहर से आने वाले सैलानियों को औद्योगिक नगरी के इतिहास की जानकारी भी मिलेगी.

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कीनन स्टेडियम में दोराबजी के साथ उनकी पत्नी की तस्वीर

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Published : Sep 3, 2020, 5:22 PM IST

Updated : Sep 3, 2020, 7:10 PM IST

जमशेदपुर: टाटा के पहले चेयरमैन सर दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी का कीनन स्टेडियम में मेहरबाई टाटा के डायमंड की तरह ही तस्वीर बनाई जा रही है. दोनों की प्रेम की गाथा को याद रखने के लिए यह तस्वीर बनाई जा रही है. पार्क में बच्चों के खेलने के लिए नई तरह के खेल सामग्री भी लगाए जाएंगे. जमशेदपुर में यह पहला पार्क होगा जहां पति-पत्नी की एक साथ प्रतिमा स्थापित होगी. घूमने आने वाले सैलानियों की पहली पसंद जमशेदपुर रही है. इसके पीछे वजह यह है कि यहां की रमणीक स्थल मसलन, जुबली पार्क, घने वादियों के बीच खूबसूरत डिमना लेक, हुडको डैम, बेतिया पार्क समेत कई पिकनिक स्पॉट हैं जो सैलानियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं. सर दोराबजी टाटा के पत्नी का डायमंड की तरह बनी तस्वीर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा. बाहर से आने वाले सैलानियों को औद्योगिक नगरी के इतिहास की जानकारी भी मिलेगी.

देखें पूरी खबर

सर दोराबजी टाटा का जन्म 27 अगस्त 1859 में हुआ था, वो जेएन टाटा के सबसे बड़े बेटे थे. उन्होंने अपने पिता जेएन टाटा की दूरदृष्टि को अमलीजामा पहनाने का बीड़ा उठाया था. सर दोराबजी टाटा ही थे जिन्होंने बैल गाड़ियों पर सवार होकर लौह अयस्क के लिए मध्य भारत की खोज की थी. उनके नाम कई उपलब्धियां हैं, 1910 में उन्हें नाइट की पदवी मिली थी. उन्होंने स्टील और पावर को मजबूत कर विजन ऑफ इंडिया को आकार दिया. उन्होंने 80 हजार भारतीयों को औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था.

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26 अगस्त 1960 को दो करोड़ 31 लाख 75 हजार रुपए की मूल पूंजी के साथ भारत में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया. 1908 में इसमें वर्क्स का निर्माण शुरू हुआ और 16 फरवरी 1912 को स्टील का उत्पादन शुरू हुआ. 1907 से लेकर 1932 तक कंपनी के चेयरमैन के रूप में टाटा स्टील प्लांट के निर्माण के लिए लगभग 25 वर्षों तक जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक अथक परिश्रम किया. सर दोराबजी टाटा श्रमिकों के कल्याण में रुचि रखते थे.

Last Updated : Sep 3, 2020, 7:10 PM IST

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