चाईबासा: जिले के मुख्य सड़कों के किनारे बसे सरांडा-पोड़ाहाट के दुरह नक्सल प्रभावित कई ग्रामीण इलाके ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की स्थिति खस्ता हाल है. ऐसी स्थिति में डिजिटल इंडिया का सपना कैसे पूरा होगा ये अपने आप में ही सवाल खड़ा करता है. क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिले की नेटवर्क स्थिति भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पहाड़ और जंगलों की सबसे बड़ी समस्या है.
कोरोना महामारी के कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी व्यापक असर प्रभाव पड़ा है. वैश्विक महामारी करना संक्रमण के रोकथाम को लेकर सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है. परंतु बच्चों के पढ़ाई बाधित ना हो इसे लेकर सरकार की ओर से वर्चुअल क्लासेस की शुरुआत की गई है. ऐसे में सारंडा एवं पोड़ाहाट क्षेत्र जहां आज तक नेटवर्क व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है ऐसे बच्चों का भविष्य गर्त में जाता दिख रहा है.
इतना ही नहीं क्षेत्र में नेटवर्क नहीं रहने के कारण सरकार की स्वास्थ्य सेवा 108 एंबुलेंस व्यवस्था का लाभ भी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. समय पर स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पाने के कारण कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. ग्रामीणों की माने तो नेटवर्क व्यवस्था दुरुस्त रहे तो ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा के साथ अन्य कई समस्याओं का भी निदान हो जाएगा. ग्रामीणों की जरूरतों के समय जिला प्रशासन तक मदद एवं समय-समय पर सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी आदि भी उन्हें मिल सकेगी परंतु जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
दयनीय है सारंडा की स्थिति
सरांडा के ग्रामीण बताते हैं कि सारंडा बीहड़ जंगलों के बीच बसा छोटानागरा में शिक्षा स्थिति काफी दयनीय हालत हो चुकी है. इस कोरोना काल में सभी स्कूल बंद है और क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति भी काफी खराब है. कई कंपनियों ने एक-दो मोबाइल टावर लगाए गए हैं लेकिन कोई कभी भी सही ढंग से नहीं चलता है. कोविड-19 का इस क्षेत्र में कोई असर नहीं है, शिक्षक स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई करवा सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो पाने से बच्चे बैल-बकरी चरा रहे हैं. जो बच्चे पढ़ाई के लिए शहरों में गए हुए थे वह भी अब गांव लौट चुके हैं और वह बेकार बैठे हुए हैं. क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति काफी दयनीय है, जिस कारण वह ऑनलाइन भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
सारंडा के बीहड़ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीण मजदूरी कर अपना घर परिवार का भरण पोषण किया करते हैं. ऐसे में उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वह स्मार्ट फोन खरीद सकें और अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे पाएं. सरांडा के ग्रामीण अपने बच्चों के भविष्य के को लेकर काफी चिंतित है ग्रामीण अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर ध्यान दे रहे थे लेकिन अब बच्चों के पढ़ाई काफी पीछे हो गई है.
108 को नहीं लगता कॉल