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लाॅकडाउन में निखरा हुनर, सुकुमार ने अनोखी कलाकृति से संवारी जिंदगी - सुकुमार की अनोखी कलाकृति

जमशेदपुर के सुकुमार बोस ने अपनी कला से अपनी और पूरे परिवार की जिंदगी संवार दी. लॉकडाउन में उन्होंने अपने हुनर को नया आयाम देते हुए, सूखी टहनियों, बेकार बीज से सुंदर पेंटिंग और कलाकृति बनाकर आमदनी के नए रास्ते खोल दिए. साथ ही दूसरों के लिए मिसाल पेश किया.

Painter Sukumar created a unique artwork during lockdown in Jamshedpur
सुकुमार ने अनोखी कलाकृति से संवारी जिंदगी

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Published : Aug 18, 2020, 6:12 AM IST

जमशेदपुरः सूखी टहनी, बीज और बेकार की झाड़ी, ये चीजें आमतौर पर बेकार समझी जाती हैं. लेकिन जमशेदपुर में बारीडीह के विद्यापति नगर के 57 साल के सुकुमार बोस ने ऐसी चीजों से पेंटिंग बनाकर कला का बेजोड़ नमूना पेश किया है.

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बचपन से पेंटिंग का शौक

सुकुमार को बचपन से पेंटिंग का शौक है. इस शौक को आपदा के इस दौर में उन्होंने अवसर में बदलकर रोजगार नया जरिया तलाश लिया. सिदगोड़ा में दुकान के माध्यम से फोटो फ्रेम में अपनी कला को निखारा. बढ़ती उम्र भले ही उनकी कला में बाधक बनी. फिर भी वह अपने अंदर के हुनर को तराशते रहे. अब उनकी कला नए मुकाम तक पहुंच रही है.

सुकुमार ने अनोखी कलाकृति

पेंटिंग बनाने में लगती है मेहनत

आकर्षक और मनमोहक पेंटिंग बनाने के लिए काफी मेहनत लगती है. बाकुल पेड़ के सूखे बीज को जमा करना, सूखी टहनियों को काटकर उसे सुंदर आकार देना. सूखी बीज को धोकर सुखाना, उनके सूखने तक उसे उचित तापमान में सहेज कर रखना, नमी से उसे सड़ने से बचाना. टहनी और बीज के लिए अनुकूल रंगों का चयन कर उसमें पेंट करना. पेंटिंग खत्म होने के बाद उन्हें सूखने के लिए छोड़ना पड़ता है ताकि उनका रंग गहरा हो सके. सुकुमार बोस पूरी शिद्दत के साथ इन तमाम प्रक्रिया से गुजरकर ऐसी पेंटिंग बनाने में जुटे रहते हैं. दिनभर में सुकुमार तीन से चार पेंटिंग बना लेते हैं.

पत्नी और पुत्र करते हैं मदद

सुकुमार जब सूखी टहनी और बेकार बीज लेकर घर में दाखिल होते तो घरवालों को थोड़ी परेशानी होती. जब वो उनमें अपनी कला से बेजान चीजों में पेंटिंग के जरिए जान फूंकने लगे, तो घरवालों को भी उत्साह और नया जोश मिला. अब पत्नी भी घर के बाहर से ऐसी चीजें लेकर घर आती हैं. पुत्र शुभम पिता की इस कला को सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं.

सुकुमार ने अनोखी कलाकृति

लॉकडाउन ने पेंटिंग के लिए प्रेरित किया

सुकुमार बोस का कारोबार लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. घर की माली हालत भी खराब होने लगी, पर सुकुमार ने हार नहीं मानी और सुंदर कलाकृतियों का निर्माण जारी रखा, साथ ही अपने घर की आजीविका का मार्ग भी प्रशस्त किया. अब उनकी कला को दूसरे लोगों के सराहना मिली है. उन्होंने घर से इस पेंटिंग को बेचना शुरू किया. अब उनकी पेंटिंग को करीब एक हजार से दो हजार रुपये तक मिल जाती है. जिससे उनकी माली हालत में सुधार ला रहा और पेंटिंग करने के लिए उत्साह भी मिल रहा है. संक्रमण के इस दौर में आर्थिक तंगी के साथ जिंदगी गुजार रहे लोग विकट मानसिक स्थिति के दौर से गुजर रहे हैं. बेशक सुकुमार को भी लॉकडाउन में ऐसे हालात का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने ना हार मानी और ही हालात से समझौता किया. अपने हुनर को धार देकर सुकुमार ने मुसीबतों की बेड़ियों को काटकर नई ऊर्जा के साथ हालात का सामना किया.

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