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1 जनवरी को राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का शंखनाद, दुमका से होगी आंदोलन की शुरुआत

आदिवासी सेंगेल अभियान(aadiwasi sengel abhiyan ) अपनी मागों को लेकर झारखंड से दिल्ली तक आंदोलन करेगा. इसे लेकर रणनीति भी तैयार कर ली गई है. अपनी मांगों को मनाने के लिए इन्होंने राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह(National tribal rebellion) करने का ऐलान किया है. जिसकी शुरुआत साल 2023 के पहली तारीख से होगी.

National tribal rebellion will start from Dumka
National tribal rebellion will start from Dumka

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Published : Dec 27, 2022, 12:22 PM IST

जमशेदपुरः आदिवासी सेंगेल अभियान ने अब अपनी मांगों को लेकर नई रणनीति बनाई है. जमशेदपुर में आदिवासी सेंगेल अभियान प्रमुख सालखन मुर्मू ने बताया कि मूलरूप से पांच मांगों को लेकर आवाज बुलंद करने का काम किया जा रहा है. इसमें सरना धर्म रोड की मान्यता देने, संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने, झारखंड प्रदेश को अबुआ दिसुम अबुआ राज पुर्नस्थापित करने, असम अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी बनाने और आदिवासी स्वशासन व्यवस्था अर्थात ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में संविधान और जनतंत्र को समाहित करना शामिल है.

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राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का शंखनादः जमशेदपुर में आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कदमा स्थित अपने आवास में अपनी मांगों को लेकर बनाई गई रणनीति की जानकारी दी है. सालखन मुर्मू ने बताया कि आज आदिवासियों के हक अधिकार के लिए, उनकी पहचान के लिए, सरना धर्म कोड लागू कराने के लिए वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं. देशभर के आदिवासियों को एकसूत्र में बांधने के लिये नये साल 17 जनवरी को दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया है(National tribal rebellion will start from Dumka ), जिसमे झारखंड, बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के भी आदिवासी शामिल होंगे. सम्मेलन में आदिवासियों के संपूर्ण उत्थान पर चर्चा होगी.


सालखन मुर्मू ने बताया कि आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से एक जनवरी 2023 को राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का शंखनाद किया जाएगा. इसके तहत संताल परगना की राजधानी दुमका में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि आदिवासियों की रक्षा में शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन के खिलाफ और ईसाई मिशनरियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर विद्रोह किया जायेगा. उन्होंने बताया कि परंपरा के नाम पर जारी नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या-द्वेश, डनडोम, बारोन, हांडी-पॉवरा चोडोर, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वोट की खरीद बिक्री की नीति पर समाज सुधार भी जरूरी है.जिसके लिए सेंगेल अभियान मुहिम चला रही है.

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