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नेपाली मजदूर लौटे अपने देश, बोले- राम-सीता जैसा है भारत-नेपाल का रिश्ता, जल्द लौटेंगे - जमशेदपुर में नेपाल लौटे मजदूर

जमशेदपुर में नाइट गार्ड के तौर पर काम करने वाले नेपाल के प्रवासी मजदूर वर्तमान परिस्थियों को देखते हुए अपने वतन लौट रहे हैं. क्षेत्र के जिला पार्षद की ओर से जिला प्रशासन से नेपाल बॉर्डर तक जाने के लिए बस का पास निर्गत कराया गया है.

migrant workers of nepal returned their country , नेपाली मजदूर लौटे अपने देश
नेपाली मजदूर

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Published : Jun 20, 2020, 7:21 PM IST

जमशेदपुरः लौहनगरी के पंचायत इलाके में नाइट गार्ड का काम करने वाले नेपाल के प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में वर्तमान परेशानियों के कारण अपने देश नेपाल रवाना हुए हैं. क्षेत्र के जिला पार्षद की ओर से जिला प्रशासन से नेपाल बॉर्डर तक जाने के लिए बस का पास निर्गत कराया गया है. जिला पार्षद ने कहा कि इनके जाने के बाद क्षेत्र में नाइट गार्ड की कमी रहेगी. उन्होंने प्रवासियों को वापस आने की अपील की है, जबकि नेपाल के रहने वाले प्रवासी मजदूरों ने कहा कि भारत मे आकर काम करना अच्छा लगता है वे जल्द वापस लौटेंगे.

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नेपाल लौट रहे सारे

जमशेदपुर के पंचायत इलाका बागबेड़ा परसुडीह हरहरगुट्टू और आस पास के क्षेत्र में नाइट गार्ड का काम करने वाले नेपाल के 27 प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में परेशानियों को देखते हुए बस से नेपाल अपने गांव के लिए रवाना हुए हैं. इन प्रवासी मजदूरों में महिलाएं भी शामिल हैं, जिनके साथ चार बच्चे भी हैं. नेपाल से भारत आए ये सभी प्रवासी मजदूर लंबे समय से नाइट गार्ड का काम करते आ रहे हैं. लॉकडाउन के कारण इन प्रवासी मजदूरों को आमदनी में कमी आने के कारण ये अपने देश नेपाल लौट रहे हैं. इनके जाने की सूचना मिलने पर क्षेत्र के जिला पार्षद की ओर से जिला प्रशासन से नेपाल बॉर्डर तक जाने के लिए बस के लिए पास निर्गत कराया है. सभी प्रवासी नेपाल के कृष्णानगर के रुकुम जिले के रहने वाले हैं. जिला पार्षद किशोर यादव ने बताया कि सभी मजदूर नेपाल के रहने वाले हैं, जो पंचायत इलाके में नाइट गार्ड का काम करते है. कोविड 19 में इन्हें परेशानी हुई है. इनके जाने से क्षेत्र में नाइट गार्ड की कमी रहेगी सुरक्षा की कमी रहेगी जिसे देखते हुए इन्हें जल्द वापस लौटने के लिए कहा गया है जिससे क्षेत्र की सुरक्षा बनी रहे.

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भारत-नेपाल का रिश्ता राम-सीता समान

नेपाल से आकर लंबे समय तक नाइट गार्ड का काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ नेपाल लौट रहे हैं. प्रतिमाह नाइट गार्ड की ड्यूटी करने से इन्हें 10 से 12 हजार मिलता रहा है, लेकिन लॉकडाउन में आम जनता की आर्थिक परेशानी के कारण इनकी आमदनी में काफी कमी हुई है. प्रवीण थापा ने बताया कि वर्तमान में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है अभी अपने गांव जाकर खेती करेंगे और जल्द वापस लौटेंगे क्योंकि नेपाल और भारत का रिश्ता भगवान राम और सीता के समान है. वहीं 63 वर्षीय भैरव थापा ने बताया कि लॉकडाउन में पैसे कम मिलने से परेशानी हो रही है, जिसके कारण वे लोग गांव जा रहे हैं. लॉकडाउन खत्म होने पर वापस लौटेंगे क्योंकि भारत मे आकर काम करना अच्छा लगता है.

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