जमशेदपुर:दुर्गापूजा से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है. सभी त्योहारों का अलग-अलग महत्व है. दुर्गापूजा के बाद लोग दीपावली की तैयारी में जुट जाते हैं. दीयों की खरीदारी शुरू हो जाती है. बाजार में तरह-तरह के दीये उपलब्ध रहते हैं. घर को सजाने के लिए कुछ लोग इलेक्ट्रिक दीया भी खरीदते हैं. लेकिन, जमशेदपुर में कुछ खास तरह के दीये हैं जिन्हें स्पेशल बच्चे बनाते हैं. हालांकि, यह दीये बाजार में उपलब्ध नहीं रहते हैं. इसे लेने के लिए स्कूल जाना पड़ता है.
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विदेशों में भी है दीयों की मांग
जमशेदपुर के सोनारी स्थित जीविका स्कूल में वैसे बच्चे पढ़ते हैं जो मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं. सामान्य दीयों को अपने हाथों से रंगों से कलाकृतियों को बनाकर सजाते हैं. इन दीयों को जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों से ऑर्डर देकर मांगाया जाता है. कुछ समान कोलकोता से मांगाए जाते हैं जिसे बच्चों के द्वारा रंग-रोगन किया जाता है. यहां पर मिलने वाले दीये की कीमत पांच रुपए से लेकर दो सौ रुपए तक है. इन दीयों की मांग देश के अलग-अलग जगहों के अलावा विदेशों में भी है. वैसे शहर के स्कूलों में भी इन बच्चों के द्वारा बनाए गए दीये बेचे जाते हैं लेकिन कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने के कारण इस बार इनके बनाए गए दीये स्कूलों में उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. यही नहीं यहां पर दीपावली के दीये के अलावा पेपर बैग, कपड़े के बैग, रोटी नैपकिन, शगुन बैग आदि ऐसी कई चीजें हैं जो यहां के स्पेशल बच्चे बनाते हैं.