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हर मंदिर में विशेष पूजा की अनुमति दे झारखंड सरकार: कुणाल षाड़ंगी - कुणाल षाड़ंगी ने कहा आस्था का सम्मान करे झारखंड सरकार

भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि लोकभावना और प्रभु राम के प्रति अप्रतिम स्नेह, सम्मान की भावना को देखते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शासन ने ऐसी व्यवस्था को स्वीकृति दी है. ऐसे में झारखंड सरकार की चुप्पी समझ से परे है.

kunal shadangi
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Published : Aug 4, 2020, 7:52 PM IST

जमशेदपुर: पवित्र तीर्थ स्थल और रामजन्मभूमि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पवित्र भूमि पूजन को लेकर देशभर में उल्लास का माहौल है. वहीं, झारखंड में कोरोना के कारण मंदिर और हिंदू देवस्थानों में लागू पाबंदियों से राम भक्तों का जश्न फीका पड़ने के आसार को देखते हुए बीजेपी के पूर्व विधायक ने झारखंड सरकार से त्वरित हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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झारखंड सरकार की चुप्पी समझ से परे

भाजपा की ओर से प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य के सभी मंदिरों और देवस्थानों को राम जन्मभूमि में मंदिर की आधारशिला रखने के अवसर पर विशेष पूजन, धार्मिक आयोजन, सुंदरकांड पाठ, रामधुन बजाने सहित दीपोत्सव के आयोजन की अनुमति दी जाए. भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि लोकभावना और प्रभु राम के प्रति अप्रतिम स्नेह, सम्मान की भावना को देखते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शासन ने ऐसी व्यवस्था को स्वीकृति दी है. ऐसे में झारखंड सरकार की चुप्पी समझ से परे है.

सर्वोच्च आस्था का विषय है आधारशीला

भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा श्रीराम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय है. श्रीराम सभी के हैं, हर वर्ग, जाती और पंथ के उनके प्रति अटूट आस्था है. सैकड़ों वर्षों के कठिन परिश्रम, प्रतीक्षा, चुनौतियों और कानूनी व्यवधानों को पार कर श्रीराम जन्मभूमि में प्रभु राम के भव्य मंदिर निर्माण की आधारशिला रखे जाना सर्वोच्च आस्था का विषय है.

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उचित शासनादेश जारी करे राज्य सरकार

देश सहित समूचे विश्व के रामभक्तों के बीच गजब का उत्साह और उल्लास है. ईश्वर के प्रति अटूट आस्था कोरोना महामारी पर भारी होती दिख रही है. मंदिर निर्माण के शुभ समाचार से समूचे देश में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है. मंदिर के भूमि पूजन का यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, अखंडता और बंधुत्व का भी परिचायक है. भाजपा ने कहा कि झारखंड सरकार को इस आशय में अविलंब हस्तक्षेप करते हुए सर्वोच्च प्राथमिकता से उचित शासनादेश जारी करनी चाहिए. जिससे लोकभावना और आस्था का हर हाल में सम्मान हो सके.

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