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कोमोलिका की स्वर्णिम जीत पर कोच खुश, कहा- मेहनत और संघर्ष से मिली सफलता

लौहनगरी की एक और बेटी ने इतिहास रचा है. स्पेन में आयोजित तीरंदाजी के महिला एकल कैडेट वर्ग में कोमोलिका ने जीत हासिल करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. जीत की खुशी जाहिर करते हुए कोमोलिका की कोच ने उन्हें बधाईयां दी है. साथ ही उनके साथ खेलने वाले खिलाड़ियों ने भी उनकी सरहाना की है.

कोमोलिका ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक किया हासिल

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Published : Aug 26, 2019, 3:18 PM IST

जमशेदपुरः स्पेन में आयोजित तीरंदाजी के महिला एकल कैडेट वर्ग में कोमोलिका ने स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया है. कोमोलिका ने आर्चरी यूथ एंड कैडेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. इसी के साथ कोमोलिका अंडर-18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी बन गई हैं. जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कोमोलिका की कोच ने कहा कि उसने झारखंड का नाम रोशन किया है. उसकी इस जीत से कई लड़कियां प्रेरणा लेंगी.

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कोमोलिका बारी जमशेदपुर के बिरसानगर की रहने वाली है. मां आंगनबाड़ी सहायिका और पिता एलआईसी के एजेंट हैं. कोमोलिका ने 11 वर्ष की उम्र से ही टाटा आर्चरी ट्रेनिंग सेंटर से तीरंदाजी प्रशिक्षण शुरू कर दी थी. लौहनगरी की बेटी ने उम्दा प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया. कोमोलिका अंडर-18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली दूसरी खिलाड़ी बन गई हैं. फाइनल में जापान की वाका सोदोक को कोमोलिका ने 7-3 से हराया. उनकी कोच बताती हैं कि कोमोलिका छुट्टी के दिन भी कड़ी मेहनत करती थी. लगन और संघर्ष में बाद ही उन्हें यह सफलता मिली है.

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'एक अक्षर ज्ञान का गुरु देत बताए धरती पर वह द्रव्य नहीं जो इसके बदले दिया जाए'. जी हाँ गुरु के द्वारा सिखाई गई तीरंदाजी और एकलव्य की तरह सीखने वाली कोमोलिका ने आखिरकार स्वर्ण पदक जीतकर पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है. कोच पूर्णिमा कहती हैं कि हंसमुख और खुद से सीखने वाली प्रतिभा की धनवान है कोमोलिका. तीरंदाजी में प्रदर्शन खराब होने के बाद उसे खुद से ही सुधार कर लेती थी. पूर्णिमा को इस बात की खुशी है कि स्वर्ण पदक कोमोलिका ने अपने नाम किया है.

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