जमशेदपुरः लौहनगरी के सिटी एसपी पांच माह के अपने बेटे को वीडियो कॉल में देख तसल्ली कर लेते हैं. एसपी सुभाष चंद्र जाट कहते हैं कि बेटे को देखने की तमन्ना बहुत होती है, लेकिन कर्म और ड्यूटी पहली प्राथमिकता है.
जन्म के बाद एक ही बार बेटे से मिल पाये हैं सिटी एसपी
कोरोना वायरस से जहां डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं. वहीं पुलिस कर्मी इस संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए ढाल बन कर खड़े हैं. कई ऐसे पुलिस कर्मी हैं जो घर परिवार से दूर रह कर ड्यूटी पर तैनात हैं. बगैर अपनी परवाह किए ये पुलिस कर्मी चौक चौराहों पर कड़ी धूप में लोगों को समझाने और घर में रहने की नसीहत देते दिख रहे हैं. इसी में एक है शहर के सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट. पांच माह पहले ही पिता बने सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट हर सुबह पांच बजे ही उठ कर एडीएम लॉ एंड ऑर्डर एनके लाल के साथ शहर का भ्रमण करने निकल जाते हैं. दोपहर, शाम, रात तक अलग अलग थानों में बैठक कर लॉकडाउन से संबंधित दिशा निर्देश दे रहे हैं. बेटे के जन्म के बाद पिछले चार माह से वे अपने बेटे से इसलिए नहीं मिल पाये क्योंकि बेहतर देखभाल के लिए वे पत्नी और बच्चे को अपने पैतृक निवास राजस्थान के जयपुर में भेज दिये. लेकिन इस कड़क और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के अंदर भी एक पिता का प्यार उमड़ता है जिसका दिल भी अपने लाल को गोद में लेकर खेलाने का करता है. लेकिन कर्तव्य व ड्यूटी ने उसे यहां बांधे रखा है. सिटी एसपी बेटे को हर दिन मौका मिलते ही वीडियो कॉल के माध्यम से देखकर जी भर लेते हैं. ड्यूटी के दौरान कुछ क्षण समय चुरा कर अपने नन्हे से पुत्र श्रेयस की मुस्कान देख खुश हो लेते हैं.
सिटी एसपी बताते हैं कि मार्च में ही उनका घर जाने का प्लानिंग था, लेकिन पर्व त्योहार में व्यस्त ड्यूटी के कारण नहीं जा पाये. उसके बाद अप्रैल के दूसरे सप्ताह में प्लानिंग की थी. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन लगने के बाद यह मौका भी छूट गया. वे अफसोस तो करते हैं कि परिवार उतनी दूर और वे उनसे मिलने के लिए भी नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि बेटा और पत्नी घर पर परिवार के बीच में हैं. वे बताते हैं कि पुलिस की ड्यूटी में आते ही उनके लिए कर्तव्य प्रथम हो गया था. लेकिन एक पुलिस अफसर के अंदर का पिता भावुक होकर यह जरूर बोलता है कि बेटा और पत्नी साथ होते तो ड्यूटी में और भी आनंद.