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जानिए कैसे बनाया जाता है खजूर का गुड़, मिठास ऐसी कि खिंचे चले आते हैं लोग

Jaggery made from Dates. मकर संक्रांति के मौके पर खजूर के गुड़ की खास डिमांड होती है. इसे खरीदने के लिए लोग दूर दूर से जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में पहुंचते हैं. प.बंगाल से आए किसानों के बनाए गए गुड़ की काफी मांग होती है.

Jaggery made from Dates
Jaggery made from Dates

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2024, 4:43 PM IST

Updated : Jan 11, 2024, 4:57 PM IST

खजूर के गुड़ की मिठास से खिंचे आते हैं लोग

जमशेदपुर:मकर संक्रांति पर गुड़ का खास महत्व होता है. इसलिए इस समय उसकी मांग भी काफी बढ़ जाती है. उस मांग को पूरा करने के लिए जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में खजूर के रस से गुड़ बनाने का काम तेजी से हो रहा है. प. बंगाल से आए किसान मकर संक्रांति से पहले गुड़ बनाने मे जुट गए हैं. गुड़ खरीदने वाले ग्राहक कहते हैं इसका स्वाद सबसे अलग होता है. बिना मिलावट से बने गुड़ का काफी फायदा भी होता है.

जमशेदपुर से 30 किलोमीटर दूर पटमदा ग्रामीण इलाके में खजूर के रस से गुड़ बनाने के लिए बंगाल से आए किसान जुट गए हैं. ये किसान ठंड के मौसम में खजूर के पेड़ के आसपास अपना अस्थाई ठिकाना बनाते हैं और वहीं रहते हैं. अहले सुबह से ही ये किसान गुड़ बनाने में लग जाते हैं. देसी जुगाड़ से बने खजूर के गुड़ की खरीदारी के लिए दूर दराज से लोग यहां पहुंचते हैं.

प.बंगाल से आए किसान किराए पर लेते हैं खजूर का पेड़: सितंबर में ही बंगाल से किसान जमशेदपुर आते हैं और खजूर के पेड़ वाले इलाके में करीब छ माह तक रहते हैं. किसान गांव में आकर स्थानीय किसानों से उनके खजूर के पेड़ किराए पर लेते हैं. तीन माह तक खजूर के पेड़ पर एक मिट्टी या प्लास्टिक के छोटी हांडी को बांध देते हैं. सुबह सूरज निकलने से पहले उस हंडी को उतार कर उसके रस को जमा करते हैं. सूरज निकलने के बाद रस खट्टा हो जाता है इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है.

प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है गुड़: ये किसान जमीन में बड़ा गड्ढा कर चूल्हा बनाते हैं जिसमें सूखी लकड़ियां और पत्ते को जलावन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद एक बड़े से बर्तन में खजूर के रस को डाला जाता है और करीब चार से पांच घंटे तक उसे पकाया जाता है. जिससे रस का रस बदल जाता है. उसके बाद बर्तन को चूल्हे से उतार कर रस को लकड़ी से बने बड़े आकार के पाटा से चलाया जाता है.

रस के गाढ़ा होने के बाद किसान गोल सांचे के उसके ऊपर सूती कपड़ा बिछा देते हैं और पके हुए गाढ़ा रस को उसमे डालते हैं. इसके करीब एक घंटे के बाद सांचे से गुड़ को बाहर निकाला जाता है. एक गुड़ का वजन करीब 500 से 600 ग्राम तक होता है. फिर गुड़ को कागज में लपेट कर रख दिया जाता है, जिसे बाजार में बेचा जाता है. खजूर के गुड़ को दो तरीके से बनाया जाता है. एक गीला खजूर गुड़ रस और दूसरा ढेला खजूर गुड़.

जनवरी के आखिरी हफ्ते में लौट जाते हैं किसान: प. बंगाल से आये किसान रहमान बताते है की झारखंड के विभिन्न जिले में वे आकर गुड़ बनाने का काम करते हैं. उनके गांव से 100 से ज्यादा संख्या में लोग गुड़ बनाने के लिए आते हैं और जनवरी के अंतिम सप्ताह में वापस लौट जाते हैं. वे लोग भोर से ही गुड़ बनाने का काम शुरु कर देते हैं जो दोपहर तक पूरा हो जाता है. खजूर के गुड़ की खरीददारी के लिए बंगाल ओड़िशा और बिहार से लोग आते हैं.

Last Updated : Jan 11, 2024, 4:57 PM IST

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