झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

ऐसे दुर्गापूजा मनाती हैं दक्षिण भारतीय महिलाएं, आदिकाल से चली आ रही परंपरा - durga puja in south india

जमशेदपुर में दुर्गापूजा धूमधाम से मनाई जा रही है. यहां रहने वाली दक्षिण भारतीय महिलाएं अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की अराधना करती हैं. महिलाएं घरों में गुड़िया के रूप में 9 दिनों तक मां की अराधना करती हैं. यही नहीं विदेशों में रहने वाली दक्षिण भारतीय महिलाएं भी पूरी रीति-रिवाज के साथ 9 दिनों तक मां की पूजा करती हैं. लड़कियों के सम्मान के लिए यह पूजा की जाती है.

South Indian Women Celebrate Durga Puja
दक्षिण भारतीय महिलाओं का दुर्गापूजा

By

Published : Oct 13, 2021, 4:24 PM IST

Updated : Oct 13, 2021, 10:03 PM IST

जमशेदपुर:जमशेदपुर में शारदीय नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा की अलग-अलग रूप की पूजा बड़े ही भक्ति भाव के साथ धूमधाम से की जाती है. इस पूजा को शक्ति की पूजा भी कहा जाता है. शारदीय नवरात्र में दक्षिण भारतीय लोग अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार अनोखे अंदाज में मां की पूजा आराधना करते हैं. जमशेदपुर में रहने वाले दक्षिण भारत के तेलुगु, तमिल और कन्नड़ लोगों द्वारा अपने घरों में शारदीय नवरात्र की पूजा को अलग भाव से किया जाता है. तेलुगु समाज के लोग अपने घरों में गुड़िया के रूप में 9 दिनों तक मां की अराधना करते हैं जिसे वमलाकोलुयु कहा जाता है. इसे गुड़िया पूजा कहते हैं.

यह भी पढ़ें:नवरात्रि के रंग में रंगा जमशेदपुर, लोग सादगी से कर रहे हैं पूजा

ऐसे होती है पूजा

दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना लोग अपने घरों में सीढ़ीनुमा मंच बनाकर खिलौनों को सजाते हैं. 9 या 11 विषम संख्या में सीढ़ी होती है. सभी सीढ़ियों में गुड़िया के अलावा भगवान की अलग-अलग रूप की छोटी-छोटी मूर्तियां भी रखी जाती है. आकर्षक विद्युत सज्जा कर सीढ़ी के आसपास खिलौनों को भी सजाया जाता है. सुबह-शाम मां को भोग लगाकर महिलाएं मां दुर्गा का पाठ करती हैं. प्रायः सभी दक्षिण भारतीय घरों में यह पूजा की जाती है. पूजा में आसपास के लोग भी दुर्गा पाठ में शामिल होते हैं. पाठ के बाद महिलाएं एक दूसरे के माथे पर कुमकुम और गले में चंदन टीका लगाती हैं. इसके बाद महिलाएं सभी को प्रसाद बांटती हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पीढ़ियों से चली आ रही है गुड़िया पूजा की परंपरा

दुर्गा पाठ करने वाली बुजुर्ग महिला शारदा बताती हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी उनके समाज में नवरात्रि में गुड़िया पूजा करने की परंपरा चलती आ रही है. इसमें शक्ति के नौ अलग-अलग अवतार की पूजा की जाती है. जिसमें विष्णु दशावतार, अष्टलक्ष्मी अवतार, विद्या अवतार शामिल है. उन्होंने बताया कि सीढ़ियों में पौराणिक कथाओं के आधार पर गुड़िया को सजाया जाता है. विजय दशमी के दिन किसी एक मूर्ति को भजन या लोरी गाकर सुलाया जाता है और यह प्राथना की जाती है कि अगले वर्ष तक घर समाज में सभी सुख शांति से रहें. शारदा ने बताया कि 80 साल से ज्यादा पुरानी गुड़िया को अब तक संभाल कर रखा है जिसे गुड़िया पूजा के दौरान सजाया जाता है. यह पूजा लड़कियों के सम्मान के लिए किया जाता है. विजय दशमी के बाद सभी गुड़िया को सुरक्षित रखा जाता है.

यह भी पढे़ं:shardiya navratri 2021: महाअष्टमी पर करें ये सरल उपाय, हर काम में मिलेगी सफलता

24 घंटे प्रज्ज्वलित रहता है दीप

घरों में मनाया जाने वाला गुड़िया पूजा स्थल पर 24 घंटे दीप प्रज्ज्वलित रहता है. कल्याणी बताती हैं कि हमारे समाज में इस पूजा का खास महत्व होता है. लोगों की मन्नत पूरी होती है. मन्नत पूरी होने पर एक गुड़िया चढ़ाया जाता है. वो बताती हैं सभी गुड़िया में मां का रूप मानकर पूजा करते है. तेलुगु समाज के लोगों का प्रयास है कि आदिकाल से चली आ रही कि इस संस्कृति को वर्तमान पीढ़ी नहीं भूले. बेंगलुरु से जमशेदपुर आई प्रत्युशा को यह पुरानी परंपरा पसंद है. वो कहती हैं कि पुरानी संस्कृति को देखकर बड़ा आश्चर्य होता है. इस संस्कृति को वर्तमान पीढ़ी को जानने की जरूरत है जिससे यह परंपरा कभी खत्म न हो सके.

विदेशों में भी गुड़िया पूजा करती हैं दक्षिण भारतीय महिलाएं

विदेशों में रहने वाली दक्षिण भारतीय महिलाएं भी अपने घरों में यह आयोजन करती हैं. अमेरिका के कैलिफॉर्निया में रहने वाली रामा अपने घर में गुड़िया पूजा करती हैं. वह बताती हैं कि पूजा के दौरान उनकी सहेली आती हैं और गुड़िया पूजा में शामिल होती हैं. इस बार मां से यही प्राथना है कि पूरी दुनिया से कोरोना जल्द खत्म हो जाए. बहरहाल विविधताओं में एकता वाले देश में जितने धर्म उतनी परंपरा है जो आज भी समाज को एक संदेश के साथ बांधे हुए है. गुड़िया पूजा में आस्था की भावना चाहे अपने देश में हो या सात समुंदर पार, परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

Last Updated : Oct 13, 2021, 10:03 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details