घाटशिलाः उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल निर्माण के दौरान हुए हादसे में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के डुमरिया प्रखंड के 6 मजदूर फंसे हैं. ईटीवी भारत की टीम उन फंसे हुए मजदूरों के परिजनों के स्थिति जानने उनके घर पहुंच रही है.
सबसे पहले ईटीवी भारत संवाददाता कनाई राम हेंब्रम डुमरिया सबर बस्ती टिंकू सरदार के घर पहुंचे. लेकिन उनके परिजन घर पर नहीं थे, उनके माता-पिता खेत में काम करने गए थे और छोटा भाई भी नहीं था. उनका घर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह काफी गरीब हैं और इसी गरीबों के कारण रोजगार की तलाश में उत्तराखंड में काम करने गये हैं. इसके बाद ईटीवी भारत की टीम वहां से निकलकर बंकीसोल गांव समीर नायक के घर पहुंची.
लेकिन वहां भी फंसे हुए मजदूर के परिजनों से मुलाकात नहीं हो पाई. आसपास के लोगों से पूछताछ के दौरान उनके चचेरे भाई से मुलाकात हो सकती है. आखिरकार शुक्रवार को मजदूर समीर नायक के चचेरे भाई विकास नायक से मुलाकात हुई. इस संबंध में हमने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके परिवार वालों को इसकी जानकारी है और उम्मीद है कि जल्द ही उनके परिजन टनल से बाहर आ जाएंगे. उनकी सलामती के लिए वह रोज सुबह शाम पूजा अर्चना भी कर रहे हैं और भगवान से दुआ भी मांग रहे हैं.
विकास नायक ने बताया कि उनके चाचा उत्तराखंड पहुंच चुके हैं सुबह ही उनसे फोन पर बात हो गई है. उन्होंने भी बताया है कि जल्द ही सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा, ईटीवी भारत संवाददाता ने मजदूर समीर नायक की दीदी पार्वती नायक से भी बात की. उन्होंने बताया है कि फोन के माध्यम से ही उनको जानकारी मिली है कि उसका भाई काम के दौरान टनल में फंस गया है. उन्होंने बताया कि 14 दिन बीत गए, रोज सुनते हैं कि आज निकलेगा कल निकलेगा लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. हम उम्मीद करते हैं कि सभी लोग सुरक्षित बाहर निकलेंगे और अपने परिवार के साथ रहेंगे. उन्होंने बताया कि जैसे ही वह बाहर आएंगे उन्हें वहां काम करने नहीं देंगे और घर वापस बुला लेंगे.
कुडालुका गांव का हालः इसके बाद ईटीवी भारत की टीम वहां से दूसरा टोला भूक्तु मुर्मू के घर की तलाश में निकले. शुक्रवार करीब 1:00 बजे गांव से निकलने के बाद हमने दूसरे गांव की ओर रुक किया. वहां से करीब 25 किलोमीटर चलने पर एक पहाड़ मिला पहाड़ के नीचे हमने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी की और वहां से पैदल ही पहाड़ को पार किया. इस बीच रास्ता भटकने के बाद दूसरे गांव पहुंच गए, अब शाम होने को चली है फिर भी ईटीवी भारत की टीम ने हार नहीं मानी और दोबारा भूक्तु मुर्मू का घर ढूंढने निकली.
इस बीच रास्ते में एक बुजुर्ग व्यक्ति मिले उन्होंने रास्ता दिखाया और करीब शाम 4:00 बजे के आसपास भूक्तू मुर्मू का गांव मिल गया. गांव वालों ने पूछने पर मजदूर का घर दिखाया गया. तस्वीरों से साफ है कि मिट्टी का घर, खपड़ैल छत और उनका घर पहाड़ की तलहटी में है. घर पर बूढ़े मां-बाप उनको ना तो हिंदी समझ में आई और ना ही वह हिंदी बोल पाते. उनके पिता केवल संथाली में ही बोल पाते हैं.