जमशेदपुर: शास्त्रीय संगीत भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है. देश में शास्त्रीय संगीत के जरिए कई कलाकारों को पहचान मिली है. लेकिन आधुनिकता के दौर में ये धरोहर कहीं विलुप्त होती जा रही है. शास्त्रीय संगीत और लोगों के बीच की दूरी को कम करने की दिशा में ही बिष्टुपुर क्षेत्र में स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में हर मंगलवार को शास्त्रीय संगीत का दरबार सजता है. संकट मोचन संगीत समिति की ओर से ये पहल की गई है.
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हर मंगलवार को शहर के अलावा दूसरे प्रदेशों से शास्त्रीय संगीत के कलाकार यहां आते हैं और कुछ पल में अपनी अद्भुत प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर देते हैं. शास्त्रीय संगीत के दरबार में आने वाले लोगों को किसी शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता और ना ही किसी प्रकार का चंदा देना पड़ता है. बस हर मंगलवार को शहर के कोने-कोने से शास्त्रीय संगीत प्रेमी यहां दरबार में आते हैं और संगीत की दुनिया में खो जाते हैं.
शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने का संकल्प
इस परंपरा की शुरुआत करने वाले दयानाथ उपाध्याय बताते हैं कि उनके पिता शास्त्रीय संगीत के प्रेमी थे और वो अपने पिता का संगीत प्रेम देखकर प्रेरित हुए. उनके अंदर भी शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम भावना जागी और उन्होंने संकल्प लिया कि शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिये वो प्रयास करेंगे. उन्होंने शहर के संगीत के कलाकारों को प्रत्येक मंगलवार को आने का आमंत्रण दिया, जिसके बाद से शास्त्रीय संगीत का दरबार लगने का ये सिलसिला शुरू हो गया. दयानाथ बताते हैं कि शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को पहले अलग-अलग रागों की प्रस्तुति के लिए तैयारी करने को कहा जाता था और मंगलवार के दिन उनके बताए गए राग की प्रस्तुति देनी होती थी. इस सब का बस एक उद्देश्य है, बदलते समय में शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना.
संगीत दरबार है सहारयनीय कदम
शास्त्री संगीत के दरबार में तबला वादक बिलाल खान, सनत सरकार, हारमोनियम वादक वीरेंद्र उपाध्याय, सितार वादक सुभाष बोस, चंद्रकांत आप्टे के अलावा कोलकाता से शास्त्री संगीत गायिका सोहनी राय चौधरी समेत कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी प्रस्तुति दी है. सोहनी राय चौधरी बताती हैं कि शास्त्रीय संगीत को सीखने वालों की संख्या कम हो रही है. ऐसे में स्कूल में शास्त्रीय संगीत की जानकारी देना जरूरी है. जमशेदपुर शहर में इस तरह का प्रयास काफी सराहनीय कदम है. बड़े शहरों में ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है. हफ्ते में एक दिन मंदिर के प्रांगण में शास्त्रीय संगीत का दरबार मन की शांति देता है.