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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 8, 2023, 5:18 PM IST

Updated : Nov 9, 2023, 8:49 AM IST

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जमशेदपुर में बोकारो की माटी की खुशबू, सज गया दिवाली का बाजार

जमशेदपुर में दीपावली का बाजार सज गया है. बाजार में बोकारो की मिट्टी के दीये और अन्य सामान लोगों की पसंद बन रहे हैं. बोकारो से आये शिल्पकार बताते हैं कि झारखंड में धनबाद, रांची और बोकारो में उनके द्वारा निर्मित मिट्टी के सामान की मांग ज्यादा रहती है. Bokaro potters in Jamshedpur

Bokaro potters in Jamshedpur
Bokaro potters in Jamshedpur

जमशेदपुर में बोकारो की माटी की खुशबू

जमशेदपुर:शहर के दिवाली बाजार में रौनक बढ़ने लगी है. रंग-बिरंगे और आकर्षक सजावटी सामानों के बीच मिट्टी के दीयों, खिलौनों और घरेलू सामान सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार बाजार को सुशोभित कर रहे हैं. वहीं, जमशेदपुर में बोकारो के चंदनक्यारी से कुम्हार मिट्टी से बने दिवाली के घर, दीये और कई आकर्षक खिलौने और अन्य सजावटी सामान लेकर शहर पहुंचे हैं.

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सड़क किनारे मैदान में बोकारो की मिट्टी के बने सामान सजाये गये हैं, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. राहगीरों के अलावा आसपास के लोग भी इन मिट्टी के सामानों को खरीदने बाजार पहुंच रहे हैं. बता दें कि बोकारो के चंदनक्यारी के मिट्टी शिल्पकार द्वारा बनाए गए दीपक, कलश, झूमर, घरौंदा, हाथी और खिलौने लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं.

बाजार की तलाश में शिल्पकार पहुंचे जमशेदपुर:बोकारो से आए शिल्पकार प्रकाश कुंभकार ने बताया कि हम सभी अच्छे बाजार की तलाश में हम लोग बोकारो से जमशेदपुर आये हैं, ताकि दिवाली का सामान बेचकर दिवाली पर अपने घर को रोशन कर सकें. उन्होंने बताया कि हमलोग जमशेदपुर के अलावा बोकारो, धनबाद और रांची में भी मिट्टी का सामान बेचते हैं. जमशेदपुर में मिट्टी कला को सराहा जाता है, जिससे बाजार भी अच्छा रहता है और हमें सम्मान भी मिलता है. दिवाली में चीन में बने सामान से ज्यादा हमारे देश की मिट्टी से बने सामान की बात ही अलग होती है.

पूजा में होता है मिट्टी से तैयार सामग्री का उपयोग:वहीं माटी कला को नमन करने और मिट्टी से तैयार सामग्री खरीदने आई महिला ग्राहक का कहना है कि यह हमारी पुरानी परंपरा है, जो हमें विरासत में मिली है. हम पूजा के दौरान मिट्टी से तैयार सामग्री का उपयोग करते हैं. इन सभी सामग्रियों में माटी कलाकारों की भावनाएं भी शामिल होती हैं. आज की युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा को जीवित रखने की जरूरत है.

Last Updated : Nov 9, 2023, 8:49 AM IST

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