जमशेदपुरः शहर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के मौके पर नन्हें रचनाकारों को देश की समृद्ध साहित्यिक परंपरा से अवगत करवाने के लिए "साहित्य परंपरा" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. निश्चय फाउंडेशन, नन्हें रचनाकार और महिला काव्य मंच के संयुक्त प्रयास से "रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं" काव्य गोष्ठी आयोजित की गई.
बच्चों ने किया कविता पाठ
इस दौरान विभिन्न अंग्रेजी और हिंदी विद्यालयों के 15 से ज्यादा बच्चों ने दिनकर जी की लिखी हुई बाल कविताओं और काव्य का पाठ किया. हर कविता के पाठ के बाद बच्चों ने कविता से मिलनेवाली सीख के बारे में भी विस्तार से अपने विचार रखे. कार्यक्रम की शुरुआत बाल कविता "चूहे की दिल्ली यात्रा" से हुई. वहीं इसके बाद कई नन्हें रचनाकारों ने दिनकर जी की प्रसिद्ध कविताएं चांद का कुर्ता, हमारे कृषक, कलम आज उनकी जय बोल, कृष्ण की चेतावनी, सूरज का ब्याह, भगवान के डाकिए, किसको नमन करूं मैं, दर्पण, कलम या कि तलवार, रह जाता कोई अर्थ नहीं, रोटी और स्वाधीनता और अन्य प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया. इससे पहले भाग लेने वाले बच्चों ने पिछले कई दिनों से रामधारी जी की रचनाओं का अध्य्यन किया था, और उन्होंने अपनी सबसे पसंदीदा रचना प्रस्तुत की.
नन्हें रचनाकार कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू "साहित्य परंपरा" अभियान का मुख्य उद्देश्य नन्हें रचनाकारों और युवाओं को भारत की अनमोल साहित्यिक विरासत से रूबरू करवाने के साथ-साथ बच्चों का साहित्य से जुड़ाव बढ़ाने को प्रेरित करना है, जिससे उनमें भाषा की समझ व व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आएगा, वही उनकी रचनात्मकता में भी तेजी से निखार आ सकता है.