जमशेदपुर/चाईबासा/खूंटी: सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर बुलाए गए भारत बंद का झारखंड में मिला जुला असर रहा. झारखंड के कई जिलों इसका कोई असर नहीं दिखा तो पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और खूंटी में आंशिक असर दिखा. आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर कहीं रोड जाम किया तो कहीं दुकानें बंद कराई.
पूर्वी सिंहभूम में मिला-जुला असर: जमशेदपुर में आदिवासी सेंगल अभियान द्वारा आहूत भारत बंद का असर करनडीह में देखने को मिला. जहां बंद समर्थकों ने टाटा-हाता चाईबासा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. बंद समर्थकों का कहना है कि सरना धर्म कोड लागू करने की मांग काफी पुरानी है, लेकिन केंद्र सरकार इसे मान्यता नहीं दे रही है. बंद समर्थकों ने वर्तमान झारखंड सरकार पर भी निशाना साधा है. बंद समर्थक करनडीह चौक के पास भारी संख्या में सड़क पर उतरे. ये लोग सरना धर्म कोड लागू करो के नारे लगा रहे थे. बंद समर्थकों में महिलाएं भी शामिल थीं. जमशेदपुर के करनडीह चौक के आस पास की दुकाने बंद रहीं जबकि शहर में बंद का असर नहीं दिखा.
पश्चिम सिंहभूम में आंशिक असर: भारत बंद का आंशिक असर चाईबासा के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में देखा गया. वहीं लंबी दूरी की वाहनें नहीं चली. चाईबासा व चक्रधरपुर में कार्यकर्ताओं ने सुबह से ही सड़क पर उतर कर टायर जलाकर सड़क जाम किया और दुकानें भी बंद करवा दी. सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने चाईबासा-टाटा और चाईबासा-रांची मुख्य सड़क मार्ग को जाम कर दिया. इस दौरान जमकर नारेबाजी की. बंदी के कारण सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई. हालांकि जाम की स्थिति को सामान्य करने के लिए पुलिस प्रशासन कार्यकर्ताओं को समझाने का प्रयास भी किया. काफी मशक्कत के बाद कुछ देर के लिए वाहनों को छोड़ दिया गया.
दोपहर में खूंटी में दिखा असर:सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों का भारत बंद का खूंटी में कोई खास असर देखने को नहीं मिला. सुबह से दोपहर तक खूंटी में आवागमन सामान्य रहा, लेकिन दोपहर बाद बड़ी संख्या में आदिवासी संगठन के नेताओं समेत बड़ी संख्या में भीड़ शहर तक पहुंची और बंद करवाने लगी. शांतिपूर्ण तरीके से इसका समर्थन करने की अपील कर रहे थे. शहर को बंद करवाने सड़क पर निकले आदिवासियों के हाथों में सरना झंडा और तख्तियां थी. सयुंक्त पड़हा समिति, केंद्रीय आदिवासी समिति, सरना धर्म सुतो समिति और सरना संगोम समिति समेत कई आदिवासी संगठन के नेता एवं कार्यकर्ता शामिल थे.
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