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झारखंड में नई नियोजन नीति पर छात्रों में उबाल, जमशेदपुर में निकाली गई आक्रोश रैली

झारखंड में नई नियोजन नीति पर छात्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि नई नियोजन नीति के जरिए सरकार युवाओं को धोखा दे रही है. अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानती है तो आंदोलन तो और उग्र किया जाएगा.

Akrosh rally held in Jamshedpur
Akrosh rally held in Jamshedpur

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Published : Apr 8, 2023, 5:29 PM IST

Updated : Apr 8, 2023, 5:38 PM IST

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जमशेदपुर:झारखंड में नई नियोजन नीति का जमशेदपुर में छात्रों ने विरोध किया है. पूर्वी सिंहभूम स्टूडेंट यूनियन के द्वारा करनडीह चौक से आक्रोश महारैली निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या में छात्र सरकार विरोधी नारे लगाते हुए चल रहे थे. आक्रोशित छात्रों का कहना है कि सरकार ने नई नियोजन नीति के जरिये स्थानीय युवाओं को धोखा देने का काम किया है. सरकार अपनी इस नई नीति में बदलाव करें अन्यथा उग्र आंदोलन होगा.

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जमशेदपुर के करनडीह चौक से पूर्वी सिंहभूम स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले छात्रों ने सरकार की नई नियोजन नीति 60-40 के विरोध में आक्रोश महारैली निकाली गई. रैली में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए. छात्र ढोल नगाड़े के साथ सरकार विरोधी नारे लगाते हुए नई नियोजन नीति का विरोध कर रहे थे.

झारखंड सरकार की नई नियोजन नीति 60-40 का राज्य भर में विरोध किया जा रहा है जिसके तहत जमशेदपुर के करनडीह चौक से आक्रोश महारैली निकाली गई. रैली सुंदरनगर और अन्य क्षेत्र से होते हुए करनडीह स्थित प्रखंड कार्यालय पहुंची जहां छात्रों ने झारखंड के महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा. पूर्वी सिंहभूम स्टूडेंट यूनियन के संजीव मुर्मू ने कहा है कि 'हम सरकार से मांग करते है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई वर्तमान नियोजन नीति 60-40 को अविलंब खारिज किया जाए. खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बने. तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग श्रेणी नौकरी में 100% स्थानीय को नौकरी मिले हैं. टीआरआई द्वारा निर्धारित 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा को ही नियोजन नीति में अनिवार्य रूप से लागू किया जाए.'
संजीव मुर्मू ने कहा कि उनकी सरकार से मांग है कि 'प्राथमिक विद्यालय से लेकर के विश्वविद्यालय तक जनजाति क्षेत्रीय भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए और आवश्यक शिक्षकों की पद सृजित करते हुए अविलंब शिक्षकों की नियुक्ति की जाए. खतियान आधारित नियोजन नीति बनने के उपरांत ही नियुक्ति हो. नियोजन नियमावली में झारखंड के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा, लिपि एवं संस्कृति का ज्ञान होना अनिवार्य किया जाए. इसके साथ ही भूमिज भाषा को नियोजन में सम्मिलित किया जाए.' उन्होंने कहा है कि सरकार ने इस नई नियोजन नीति के जरिये लोगों को धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार नीति में बदलाव नहीं करती तो छात्र उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.

Last Updated : Apr 8, 2023, 5:38 PM IST

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