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दुमकाः सड़क निर्माण के लिए भूख हड़ताल पर बैठा साहित्यकार, बोले- हेमंत है तो हिम्मत है, लेकिन सड़क कहां है - दुमका में सड़क निर्माण को लेकर भूख हड़ताल

दुमका के बासुकीनाथ-भागलपुर मुख्य मार्ग बासुकीनाथ से नोनिहाट तक का रास्ता इतना जर्जर हो गया है कि आम लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो गया है. साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल ने संथाल परगना की सभी जर्जर सड़कों की मरम्मत को लेकर भूख हड़ताल की.

Writer on hunger strike for road construction in dumka, सड़क निर्माण के लिए भूख हड़ताल पर बैठा साहित्यकार
भूख हड़ताल पर बैठा साहित्यकार

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Published : Sep 10, 2020, 8:51 PM IST

दुमकाः जिले के भागलपुर-बासुकीनाथ मुख्य मार्ग से नोनीहाट तक सड़क की स्थिति इतनी जर्जर हो गई है कि आम लोगों का चलना मुश्किल हो गया है. इसी सड़क से रोज ओवरलोडेड सैकड़ों ट्रक अवैध बालू और गिट्टी लेकर जा रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासन के लोग मूकदर्शक बने हुए हैं.

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सड़क की दुर्दशा को देखते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल ने संथाल परगना की सभी जर्जर सड़कों की मरम्मत, सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार को मुआवजा और अवैध बालू-गिट्टी की ढुलाई को रोकने के लिए गुरुवार को एकल भूख हड़ताल की.

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नीलोत्पल मृणाल ने कहा कि वे देश और दुनिया को अपने कविताओं से संदेश देते हैं, लेकिन उनके घर के पास की सड़क इतनी जर्जर है कि लोग परेशान हैं. वे इस ओर सरकार की ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं ताकि इस सड़क को जल्द से जल्द कम से कम चलने लायक बना दें. जर्जर सड़क के कारण आए दिन घटना और दुर्घटना होती रहती हैं.

उन्होंने कहा कि वे शिक्षा के लिए कॉलेज व केंद्रीय विद्यालय बनवाने के लिए सरकार से मांग करते हैं, लेकिन मजबूर होकर सड़क को लेकर 48 घंटे के लिए भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं, ताकि उनके क्षेत्र के लोगों को न्याय मिले. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के सांसद और विधायक को शर्म आनी चाहिए कि इस क्षेत्र के लोगों से वोट तो लिए लेकिन एक अच्छी सड़क तक नहीं दिए. प्रशासन तो सिर्फ उगाही करने में ही लगा रहता है. चुनाव के समय मुख्यमंत्री का नारा था हेमंत है तो हिम्मत है लेकिन आज जनता पूछ रही है कि हेमंत है तो हिम्मत है लेकिन सड़क कहां है.

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