दुमकाः संथाल परगना की जमीन की उर्वरता कम मानी जाती है. इसके साथ ही यहां सिंचाई के लिए साधनों का अभाव है. ऐसे में हमेशा इस बात पर जोर दिया जाता है कि किसानों को वैकल्पिक खेती से जोड़ा जाए. इसी के मद्देनजर अब यहां के किसानों के जीवन में मधु की मिठास घुलने जा रही है. दरअसल दुमका स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के द्वारा किसानों को मधु उत्पादन का प्रशिक्षण देने की योजना बनी है(Training of apiculture to farmers in Dumka ). इसका डेमो भी शुरू कर दिया गया है.
संथाल परगना के किसानों की जिंदगी में होगी मधु की मिठास, मधुमक्खी पालन के लिए दी जाएगी ट्रेनिंग
दुमका के किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी क्रम में किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसानों को इसे लेकर प्रशिक्षण देने की भी योजना पर काम किया जा रहा(Training of apiculture to farmers in Dumka) है.
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जोनल रिसर्च सेंटर में पहुंचे BAU के मधुपालन स्पेशलिस्टःदुमका स्थित बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के जोनल रिसर्च सेंटर में प्रोफेसर मिलन चक्रवर्ती मधु पालन का काम शुरू कराने के लिए पहुंचे हैं. मिलन चक्रवर्ती बीएयू के प्रोफेसर हैं और इन्होंने मधु पालन में ही शोध कार्य किया है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत 25 हनी बॉक्स में इन्होंने मधुमक्खी पालन किया है. सभी बॉक्स को सरसों के खेत के किनारे रखा गया. लगभग 15 दिनों के बाद के बाद जब इन बॉक्स को खोला गया तो काफी मात्रा में मधु निकला । उन्होंने बताया कि किसान आसानी से मधु की खेती कर सकते हैं. उन्होंने जानकारी दी कि बॉक्स लगाने के 10 दिन से लेकर 20 दिनों तक में उसे खोलकर मधु निकालना है. मधु निकालने में जितना विलम्ब किया जाएगा उसकी क्वालिटी उतनी अच्छी होगी.
क्या कहते हैं जोनल रिसर्च स्टेशन के निदेशकःमधु उत्पादन की शुरुआत के संबंध में बीएयू के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रोफेसर राकेश कुमार कहते हैं कि पहली बार दुमका के इस केंद्र में मधु उत्पादन का कार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि दुमका के किसानों को काफी लाभ होगा, क्योंकि कई कारणों की वजह से परंपरागत खेती स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में काफी जरूरी है कि वैकल्पिक खेती पर भी ध्यान दिया जाए. इसमें मधु की खेती एक बेहतर विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर किसान के पास जमीन नहीं है तो फिर मधु के आसपास के जंगल या दूसरे के खेतों के पास भी रख कर उससे आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि मधु की कीमत ढाई सौ से लेकर तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम है. एक बॉक्स से एक माह में 4 से 5 किलोग्राम मधु निकाला जा सकता है. यह किसानों के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है.